जसवंतनगर में साइकिल से प्रचार कर अपना पहला चुनाव जीते थे मुलायम

वेदव्रत गुप्ता
इटावा। सैफई के एक गरीब किसान परिवार में सन 1939 में जन्मे अपने 5 भाइयों में दूसरे नंबर के भाई मुलायम सिंह यादव को 15 वर्ष की उम्र में नहर आंदोलन में नारे लगाता, सबसे आगे चलता और कुछ कर गुजरने की चाहत और तमतमाते चेहरे के साथ पहली बार देखा गया था। इसके बाद वह डिग्री की पढ़ाई के दौरान जब छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए, तब राजनैतिक कदम बढाते दिखे।
एम.ए, बीटीसी करके सैफई के करीबी करहल कस्बे के कालेज में उनका चेहरा एक शिक्षक के रूप में दिखाई दिया था। साथ ही जगह जगह कुश्ती दंगलों में पहलवानों को पलक झपकते पटकते नाटे कद के मुलायम सिंह को गांवों में होने वाली कुश्तियों में धाक जमाते देखा गया था।
तभी तत्कालीन करहल-जसवन्तनगर क्षेत्र के एमएलए कट्टर समाजवादी स्व नत्थू सिंह जी मेंबर साहब की निगाह उन पर पड़ी थी और उन्होंने परिसीमन से बनी जसवंतनगर विधान सभा सीट से इस नौजवान मुलायम को अपनी जगह उतारने का फैसला कर लिया था।
उनका पहला चुनाव 1967 विधानसभा का था। कांग्रेस के विरुद्ध मैदान में मुलायम सिंह संसोपा के उम्मीदवार थे। बताते हैं कि तब मुलायम के पास न कारें थीं और न जीपें या अन्य गाडियां ।चुनाव लडने के लिए वह सायकिल से प्रचार करते गांव गांव पंहुचते थे। रात में अपने प्रचारकों के साथ गांवों में ही रुकते थे।
जसवंतनगर कस्बे में कुछ दुकानदारों से मिले चंदे से चुनाव खर्च चलाते। वह अपने संगियो संग सायकिल के केरियर पर लदे झंडे लोगों को बांटते थे। जगह जगह खुद और कार्यकर्ताओं से दीवालों पर अपने चुनाव चिन्ह का प्रचार एक डिब्बे में घुली कलई और गेरू से लिखवाते।
बताते है कि चुनाव दौरान वह सायकिल से ही गांव गांव प्रचार के लिए पहुंचते थे। चुनाव से तीन चार दिन पहले पूरे क्षेत्र एक बड़ा जुलूस सायकिलों, बैलगाड़ियों और ऊंटों पर उनके पक्ष में निकला था और मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतकर मात्र 28 वर्ष की छोटी उम्र में विधायक बन गए थे।
सन 1967 के बाद फिर 1974, 1977,1985, 1989,1991,1993 में कुल सात बार मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर से विधायक बने। हालांकि वह एक बार और चुनाव विधानसभा का जीते।इस तरह8 बार कुल विधायक बने। सन 1969 में कांग्रेस के विशंभर सिंह और 1980 में बलराम सिंह ने उनको हरा दिया था। 1996 में उन्होंने अपनी इस परंपरागत सीट को अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को सौंपा दिया था,तब से शिवपाल सिंह बराबर यहां से जीत रहे और उनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
राजनैतिक जीवन में नेता जी एक बार नेता विपक्ष,एक बार सहकारिता मंत्री, तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षामंत्री बने। वह प्रधानमंत्री भी बनते बनते रह गए थे।बावजूद इसके नेता जी को जसवंतनगर से पूरी जिंदगी भारी लगाव रहा। मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री जैसे पदों पर रहने पर भी वह यहां के लोगों के सुखदुख, शादियों में आना नहीं चूकते थे। उनके सरकारी आवासों पर यदि कोई जसवंतनगर का व्यक्ति कभी भी पहुंच जाता था, तो उनके दरवाजे उसके लिए खुल जाते थे।यहां के लोगों के नाम उनकी जुबान पर रटे थे। भीड़ या सभाओं में लोगों को वह न केवल नाम से ही नहीं बुलाते थे,बल्कि अपने प्रोटोकोल और सुरक्षा प्रबंधों को तोड़ उन तक पंहुचने और उनकी खैर खबर लेने से नहीं चूकते थे।
*वेदव्रत गुप्ता*