प्रान्तीय नेता ओपी यादव ने दी थी पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह को ‘धरती पुत्र’ की उपाधि
"धरती और गगन में जिसका जलवा अब तक कायम है, जिसने कभी न झुकना सीखा उसका नाम मुलायम है" जिले के सुरेन्द्र प्रताप पासी ने लिखा
माधव संदेश /क्राइम ब्यूरो दीपक राही
रायबरेली । समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर मिलते ही जिले भर के शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई । जनपद से जुड़ी यादें जेहन में आते ही एक संस्मरण याद आ जाता है । बताते चलें कि वर्ष 1989 में मुख्यमन्त्री पद के लिए हुई वोटिंग के दौरान जब मुलायम सिंह यादव को विजय और चौ0 अजीत सिंह को पराजय मिली तो वरिष्ठ सपा नेता ओपी यादव जोश में आ गये और तिलक हाल मेंं ‘धरती पुत्र’ मुलायम सिंह का नारा लगाया । इस दौरान खिड़की का शीशा टूटकर ओपी यादव के हाथ में लग गया था । फिर लोकदल पार्टी कार्यालय 6-ए, राजभवन कालोनी की पोर्टिकों की छत पर तत्कालीन विधान परिषद सदस्य स्व0 हीरालाल यादव ने ओपी यादव को चढ़ा दिया और धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के नारे लगवाये । सनद रहे कि दूसरे दिन लगभग सभी समाचार पत्रों में ‘धरती पुत्र’ मुलायम सिंह यादव का नाम प्रकाशित हुआ था । पुनः 8 अक्टूबर 1992 में रामकोला कान्ड में जब नेता जी की गिरफ्तारी हुई और उन्हें बनारस जेल में बन्द कर दिया गया तो रायबरेली में सपा के कार्यकर्ताओं ने 9 अक्टूबर 1992 को जोरदार प्रदर्शन किया । जिसमें प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज में पूर्व विधायक रामनरेश यादव, प्रान्तीय नेता ओपी यादव, चौ0 सर्वजीत सिंह, राजेश यादव, सुरेन्द्र प्रताप पासी आदि लोग घायल हुए थे और जेल भी भेज दिये गये थे तब जेल में सुरेन्द्र प्रताप पासी ने एक गीत लिखा था “धरती और गगन में जिसका जलवा अब तक कायम है, जिसने कभी न झुकना सीखा उसका नाम मुलायम है” । यह गीत पूरे देशभर में गूँजा ही नहीं बल्कि खूब चर्चा भी हुई थी । यहीं नहीं आज भी इस गीत को पार्टी के कार्यक्रमो और चुनावों में अवश्य बजाया जाता है । वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के बाद जब नेता जी प्रदेश के भ्रमण पर निकले थे तो जिले के कार्यकर्ताओं से नुक्क्ड़ सभाओं में रूबरू हुए थे । उस समय प्रतापगढ़ राज मार्ग पर पूर्व विधायक रामनरेश यादव की प्रेरणा से सपा नेता पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य बाबूलाल यादव ने नुक्क्ड़ सभा का आयोजन कराया था । उस दिन को याद करते हुए बाबूलाल भावुक होकर बताया कि नेता जी का अपनापन और कार्य कर्ताओं के प्रति अगाध प्रेम देखते ही बनता था । उनकी सादगी ही थी कि सभा समाप्ति के बाद जब उनको नाश्ते के लिए कहा गया तो उन्होंने पहले तो पूर्व विधायक की ओर देखा और उनका इशारा मिलते ही उन्होंने बिना समय गवाएं मिठाई का टुकड़ा अपने मुंह में डालकर मुस्कराने लगे ऐसा चरित्र करोडो कार्यकर्ताओं के मसीहा और सर्वसमाज के सर्वमान्य नेता मुलायम सिंह यादव के अतिरिक्त और किसी का नहीं हो सकता है ।