सड़क निर्माण में अनियमितता, अधिकारी नहीं देते ध्यान, ग्रामीणों का विरोध, मानक के अनुरूप नहीं किया जा रहा विकास कार्य

रिर्पोट दीपक अवस्थी।मो०-8057802581
अजीतमल औरैया। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सड़कें बनाई जा रही है तथा पुरानी सड़को का जीर्णोधार किया जा रहा है जिसका निर्माण लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा कराया जा रहा है।किन्तु इन सड़कों के निर्माण कार्य में निर्माण के साथ ही साथ अनियमितता बरती जा रही है।
अजीतमल विकासखंड से महज पांच किमी दूर नेशनल हाईवे के मुख्य मार्ग से होकर चांदूपुर , गंगदासपुर, जगन्नाथपुर को जाने वाली सड़क का निर्माण वहां के ग्रामीणों के अनुसार मानक के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। सड़क के निर्माण में गुणवत्ताहीन सामग्रियों का उपयोग किया गया है, जो कि केवल एक छोटे से पत्थर की मार से भरभराकर गिरने लगती है। वहीं विभाग द्वारा बनाई गई सड़कें जिनमे ठेकरदार द्वारा पांच साल की गारंटी की अवधि दी जाती है, वह महज साल भर में उखड़ने लगती है, जिसे विभाग के अधिकारी और ठेकेदार द्वारा पुनः कभी मरम्मत नहीं कराया जाता और न ही उस सड़क की ओर उनका ध्यान जाता है। इन सड़कों में बनने वाले पुलियों का निर्माण भी निम्न स्तर पर किया जा रहा है, जो कि राहगीरों की सुविधा के लिए तो कम परंतु किसी बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण देने के लिए काफ़ी हैं।
क्षेत्र में बनी अधिकांश सड़कें समय से पहले ही उखड़ने लगती हैं। कई सड़कें तो पूरी बनी भी नहीं होती जहां एक ओर निर्माण कार्य चल रहा होता है वहीं दूसरी ओर सड़क उखड़नी शुरू हो जाती है। पांच वर्ष की गारंटी तो इन सड़कों पर दी जाती है किंतु सड़क बनने के पश्चात इन सड़कों की मरम्मत नहीं कराई जाती। इसका उदाहरण बाबरपुर से जगन्नाथपुर, हजारीपुर, काजीपुर, खेतुपुर जैसे अंदरूनी गांवों में पहुंच हेतु बनाई गई सड़कें हैं, जो कुछ ही साल में उखड़ गई हैं। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार सड़कों में से कुछ सड़क तो ऐसे हैं जो कि कुछ महीनों में ही ध्वस्त हो चुके हैं, इन सड़कों पर राहगीरों का चलना भी दूभर हो चुका है। सीसी रोड की गिट्टियां बाहर आ चुकी हैं, जिससे दुपहिया वाहन सवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पैदल चलने वाले राहगीर सड़क छोड़कर उसके नीचे चलने को विवश हैं।
नियमानुसार इन सड़कों को बनाने से पहले जीरो पाइंट पर सड़क के संबंधित सूचना पटल लगाना अनिवार्य है, जिसमें सड़क से संबंधित समस्त जानकारियां अंकित भी होनी चाहिए एवं उस सूचना पटल का भी पांच वर्षों तक उस स्थान पर रहना आवश्क है, किंतु इन सड़कों को बनाने के पूर्व न तो जानकारी के लिए कोई बोर्ड लगाया गया है और न ही इन नई सड़कों का नाम अंकित किया गया है। सड़कों के संबंध में जानकारी लेने की कोशिश करने पर विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस विषय पर बात नहीं करना चाहते। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद भी विभाग के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा इन सड़कों के विषय में कोई कार्यवाही नहीं की जाती। ग्राम चंदूपुर निवासी ग्रामीण ने बताया लगभग एक दर्जन ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में की जा रही अनिमितता का विरोध किया और सदकबके दोनो ओर तालाब स्थित होने से वेरिकेटिंग भी नहीं बनाई जा रही है, जहां पर पहले से पुलिया बनी हुई है वहां पुलिया ना बनाकर दूसरी जगह पर अपनी मनमर्जी से ठेकेदार बना रहे हैं और सरकार के पैसों का दुरुपयोग भी कर रहे हैं यहां तक कि ग्रामीणों को पैसे का प्रलोभन भी देते हैं कि किसी भी कार्य का विरोध ना करें, चांदूपुर के ग्रामीणों के विरोध के बाद ठेकेदार को घटनास्थल पर आना पड़ा उसके बाद ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं बताई,
दर्जनों क्षेत्रीय ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।