*चंबल नदी की बाढ से चारों ओर तबाही दर्जनो गांव बने टापू।*

उदी इटावा:- कोटा बैराज और गांधी सागर बांध से कई लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद चंबल और यमुना दोनों नदियां बेहद उफान दिखती नजर आ रही है। जबकि चंबल नदी का मंजर बहुत ही भयानक दिखाई दे रहा है। ऐसे में चंबल नदी की बाढ की चपेट में आए कई गांवों में चारों ओर तबाही का मंजर बना हुआ है। लोगों के आशियाने पानी के बढे जलस्तर मे समा चुके हैं। और कई गांव टापू भी बन चुके हैं। वहीं लोगों के आने जाने वाले गांव के संपर्क मार्ग पूर्ण रूप से टूट चुके है। चंबल नदी खतरे के निशान से करीब मीटर ऊपर बह रही है। वहीं जिलाप्रशासन के आला अधिकारी बाढ से प्रभावित लोगों की दिन रात मदद करने में जुटे हुए हैं। जनपद इटावा मे बढपुरा विकास खंड क्षेत्र के मडैया पछांयगांव, ग्राम बसवारा, मडैया बढपुरा जैसे गांव मे बाढ का पानी चारों ओर भर चुका है। यह गांव टापू बन चुके हैं। मडैया पछांयगाव मे करीब एक सैकड़ा घर बाढ की चपेट में आकर पानी में समा गए। गांव मे हालात ऐसे बने हुए हैं। पीडित लोग ऊपरी हिस्से पर बने घरों की छत पर खुले आसमान में सामान रखकर अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ इस मुसीबत का सामना कर रहे। पीडित लोगों ने बताया प्रशासन द्वारा ना खाने की व्यवस्था है ना पानी की गांव के संपर्क मार्ग में पानी आने से लोग जंगल के रास्ते से होकर अपने राशन पानी लेकर पहुंच रहे हैं। मडैया पछांयगाव गांव के बढते हालातों को देख पीडितों की मदद के लिए जिलाप्रशासन द्वारा आज शुक्रवार को एसडीआरएफ टीम पहुंच चुकी है। वहीं ग्राम बसवारा, मडैया बढपुरा मे भी हालात गंभीर बने हुए है। बसवारा गांव की गलियों मे बाढ का पानी भर चुका है। ऐसे में चारों तरफ लोगों मे हाहाकार मची है। प्रशासन की तरफ से हुई व्यवस्था से काफी दूर पानी के बीच फसे है। लोगों तक वह व्यवस्था पहुंच नहीं पहुंच पा रही है। लोगों की परेशानियों को देख ग्राम बसवारा मे सदर एसडीएम राजेश कुमार वर्मा अपनी टीम के साथ मोटर वोट से बीच गांव में पहुँचकर गलियों में भरे पानी उतरकर पैदल चलकर निरीक्षण किया। और पीडितों की खाने पीने की व्यवस्था के लिए राहत कैंप लगाया गया है। सदर एसडीएम राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। और लगातार प्रशासन पीडितों की मदद लगा हुआ है। मडैया पछांयगाव, मे एसडीआरएफ टीम पहुंच चुकी है। और ग्राम बसवारा मे मोटर बोट से लोगों के आने जाने की व्यवस्था की गई है। और उनके राशन पानी के लिए एक राहत कैंप लगाकर खाना वन बाकर पीडितों तक पहुँचाया जाऐगा। वहीं यमुना नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

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