पहाड़ों पर बारिश ने कानपुर और आसपास के जिलों में मचाई तबाही
पहाड़ों पर तबाही के बाद वहां की बारिश ने अब कानपुर और आसपास के जिलों को आफत में डाल दिया है। सैकड़ों गांव पानी से घिर गए हैं और हजारों बीघे फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। गंगा का जलस्तर कई जगह खतरे के निशान पर है। हरदोई में बाढ़ के पानी में डूबने से एक किसान की जान चली गई।
कानपुर में गंगा ने बिठूर से कटरी होते हुए शुक्लागंज तक बाढ़ की दस्तक दे दी है। पहली बार ऐसा हुआ है कि अक्तूबर माह में गंगा का रिकॉर्ड जलस्तर बढ़ा है। बैराज से सोमवार और मंगलवार को सिंचाई विभाग ने सभी 30 गेट खोलकर रिकार्ड पानी डिस्चार्ज किया है। शुक्लागंज में कटान तेज हो गई है। हरदोई के कटियारी इलाके में एक दशक बाद गंगा और रामगंगा नदियों का रौद्र रूप देखने को मिला है। इलाके के 100 से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं, कई गांवों में 4-5 फिट तक पानी भरा है। पीएसी की फ्लड यूनिट ने मोर्चा संभाल लिया है। शाहपुर पवार का मजरा हरीगंज के किसान राकेश गंगा के टापू में फसल देखने गए थे, अचानक गहरे पानी में जाने से डूब गए और मौत हो गई।
फर्रुखाबाद में गंगापार और शमसाबाद के निचले इलाकों में जलभराव से ग्रामीण आफत में हैं। कई घरों में पानी भरने से छतों पर खाना पकाया जा रहा है। कन्नौज में गंगा का जल स्तर खतरे के निशान से महज 30 सेमी दूर है। हर घंटे पानी बढ़ रहा है। ग्रामीण सामान व परिवार के साथ गांव छोड़कर सड़कों पर आ रहे हैं। फतेहपुर में गंगा उफना रही है। नरौरा और फिर कानपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण मंगलवार सुबह गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया। बाढ़ में कई एकड़ सब्जी और धान की फसल डूब गई है।