अन्नदाता की मेहनत पर पानी की आफत, बोई गई सरसों की फसल उगने से पहले ही नष्ट

 

सुबोध पाठक

मानसून की बारिश से खेतों में भरा पानी।

जसवन्तनगर।क्षेत्र में अब तक किसान खाद की कमी से जूझते आ रहे थे। अब बारिश ने अन्नदाता को रूला दिया है। रबी की फसल के लिए लाखों रुपए की खाद और बीज की बुवाई करने के बाद अब किसानों की मेहनत मिट्‌टी में मिल गई। रविवार की दोपहर से क्षेत्र में होने वाली बारिश से खेतों में पानी भर गया। खेतों में बाेया गया बीज बारिश के कारण खेतों में सड़ जाएगा। यह बीज अंकुरित होने से पहले नष्ट हो जाएगा। वहीं, खरीफ की फसल जो पककर तैयार थी वो भी खराब हो जाएगी है।

मानसून के बादल, किसानों पर आफत बनकर बरस रहे है। क्षेत्र में और महीनों से ज्यादा आफत की वारिस क्वार माह में हुई । बारिश की वजह से किसान खरीफ के मौसम में बोई गई फसले तैयार है। जिन किसानों ने खरीफ की फसल जैसे तिल, धान, उड़द, मूंग, ज्वार और बाजारा की फसलों की बुवाई की थी। यह फसल भी अक्टूबर महीने के मध्य में होने वाली बारिश से भारी नुकसान पहुंचा है। कारण यह है कि इन दिनों यह फसल पकी हुई खड़ी है। बारिश की वजह से इन फसलों को सीधे तौर पर नुकसान हुआ है।

अंकुरित होने से पहले ही सरसों नष्ट

क्षेत्र में सरसों का उत्पादन अच्छा होता है। सितंबर के दूसरे पखवाड़े से क्षेत्र में डीएपी, यूरिया, एनपीके समेत अन्य खाद की किल्लत बनी रही।इस वजह से किसान सितंबर महीने में सरसों की बुवाई नहीं कर सका। किसानों ने लेट लतीफ खाद ली। अब प्रकृत्ति की मार झेल रहा है। क्षेत्र के छोटे किसानों ने अक्टूबर के प्रथम और द्वितीय सप्ताह में जोर-शोर से सरसों की बुवाई की। वर्तमान में कई हेक्टेयर तक बुवाई हो चुकी थी। बोई गई सरसों का अंकुरण के साथ ही बारिश होने से फसल अंकुरण के साथ ही नष्ट हो चुकी है। अब किसानों को फिर से खेतों की बुवाई करनी होगी।

बीस हजार रुपये तक का प्रति हेक्टेयर का लगभग होगा नुकसान

किसानों के मुताबिक एक हेक्टेयर सरसों की बुवाई पर किसानों को खाद, बीज और खेत की जुताई- बखराई पर 15-20 हजार खर्च करना होता है। बारिश की वजह से किसानों का पैसा बर्बाद हो गया।

खरीफ की फसल को भारी नुकसान।

बारिश से घटेगा सरसों का रकबा

यह बारिश किसानों के लिए नुकसानदेह है। बारिश से सरसों की फसल का रकबा घटेगा। 5 नवंबर के बाद सरसों की बुवाई किसान करेगा ताे उत्पादन 50 फीसदी कम हाे जाता है। यदि एक या दो दिन लगातार बारिश हुई तो खेत बुवाई के लिए पंद्रह दिन बाद तैयार हाेंगे। ऐसे में सरसों का रकबा सीधे तौर पर घटेगा।

*कुछ किसानों के चेहरे खिले कुछ के मुरझाए*

एक तरफ पिछले24घण्टे से वर्ष रहे पानी से सरसों की होचुकी बुबाई कर चुके किसानों को पानी वर्ष जाने के कारण खेतों में जल भराव से दाना अंकुरित नहीं होगा जिससे क्षेत्र में किसानों को लाखों रुपए का खाद और बीज का नुकसान होगा,किसानों 800सौ सेे1हजार रुपये किलो के हिसाब से सरसों का बीज बुबाई के लिए खरीदा था मुख्यता इस क्षेत्र में45 S 42और45 S 46 वेराइटी की बुबाई ज्यादा की जाती है, क्षेत्र में बाजरा की फसल पक कर तैयार खड़ी है कुछ किसानों ने बाजरे की फसल में लगी हुई बालियां एकत्रित करने के बाद थ्रेसर से निकालने को तैयार थे लेकिन वारिस ने अरमानों पर पानी फेर दिया खड़ी हुई फसल में कंडवा रोग लग जाने की संभावना व्यक्त की जारही है और काट कर रखी गई फसल में पुनः जम जम जाएगी और दाना काला पड़ जायेगा जिसका मंडी में कोई खरीददार नहीं होगा, मिट्टी के भाव में विकेगा बाजरा।

फोटो:-सरसों के खेतों में भरा पानी, बाजरा की बाल को काटकर ढेर लगाने के बाद पानी से वचाने के लिए ढक कर रखा हुआ।

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