वीतराग धर्म ही वास्तविक शरण है-  बाल ब्रह्मचारी राहुल जैन

*अन्य द्रव्यों का सत्यार्थ श्रद्धान, ज्ञान,  *"धर्म से ही धन है" वाद विवाद प्रतियोगिता का किया गया आयोजन

  फोटो  अपने उद्गार प्रवचनों में व्यक्त करते राहुल जैन  और वाद विवाद प्रतियोगिता संचालित होती
_______
जसवंतनगर(इटावा) जो अपना और अन्य द्रव्यों का सत्यार्थ श्रद्धान, ज्ञान, आचरण है, वह संसार परिभ्रमण से छुड़ाकर परमसुख में धरने वाला धर्म है।
      यह बात स्थानीय श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर जैन बाजार में चल रहे आठ दिवसीय जैन संस्कार शिक्षण शिविर में लोगों के  ज्ञान चक्षु खोलते बाल ब्रह्मचारी राहुल जैन ने  कही है। वह  श्री रत्नकरण्ड श्रावकाचार जैनग्रंथ के स्वाध्याय  को लोगों को बता रहे थे।
    उन्होंने कहा कि वास्तव में वीतराग धर्म ही शरण है। अपने जीवन में हमें हमेशा ही निर्ग्रन्थ मुनि दीक्षा की भावना भानी चाहिए ।जिससे हमारा इस जन्म मरण रूपी संसार का अभाव हो सके और हम अपने परम उत्तम मोक्ष सुख को प्राप्त कर सकें।
     शिविर   दौरान रात्रि में आयोजित  वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रतियोगियों ने बहुत ही उत्साह से भाग लिया। “धर्म से धन होता है” या “धन से धर्म” प्रतियोगियों ने अपना अपना मत रखा।  इन प्रतिभागियों में  वनी जैन, लक्ष्य जैन, चिराग जैन, श्रेयांश जैन, जिनेश जैन, दिव्य जैन, मोक्ष जैन, आकर्ष जैन, निश्चल जैन, आशी जैन, आदि ने अपनी तर्क बुद्धि से अपने विचारों को रखा।
    प्रतियोगिता इतनी रोचक थी कि देर रात्रि तक लोग देखने के लिए डटे रहे।
_____
*वेद व्रत गुप्ता

Related Articles

Back to top button