जवारे विसर्जन शोभायात्रा का द्वार-द्वार स्वागत,लोगों ने उतारी आरती

    *भाविप समर्पण शाखा द्वारा बाल विकास विद्या मंदिर पर स्वागत      *बड़े चौराहा पर मेघनाद द्वारा पूजा

 फोटो: जवारे शोभायात्रा निकाली जाती, भाविप समर्पण के सदस्य स्वागत करते
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    जसवंतनगर(इटावा)। 100 सालों से ज्यादा पुरानी “जवारे विसर्जन शोभा यात्रा” शुक्रवार को नगर में देवी गीतों तथा दुर्गा भवानी की जय जय कर5 के मध्य निकाली गई, जिसका जगह-जगह पुष्प वर्षा और आरती करके  देवी भक्तों और श्रद्धालुओं ने स्वागत किया।
       कोरी-शंखवार समाज द्वारा यह जवारे यात्रा कोई 130 वर्षों से नगर में फक्कड़पुरा कोठी से शारदीय नवरात्रि की नवमी को निकाली जाती  है।
    इसके लिए नवदुर्गा शुरू होने से पहले जवारे बोए जाते हैं। इन जवारों को दुर्गा जी की मूर्ति के साथ समाज के लोग विसर्जन के लिए विशाल शोभा यात्रा के साथ ले जाते हैं ,तो पूरे नगर के लोगों में बड़ा उत्साह होता है।
     कोरी शंखवार समाज इस जवारे यात्रा में एकजुट शामिल होकर अपनी संगठन शक्ति का प्रदर्शन करता है। महीनो पहले से तैयारी  करता है। जवारे बोए जाने  का स्थल भी उनका सदैव से निश्चित है।
   विसर्जन यात्रा में अनेक झांकियां भी होती हैं। यह जवारे विसर्जन यात्रा, जब नगर के बड़े चौराहा पर पहुंचती है, तो वहां रामा दल और  राक्षस दल के बीच हो रहे युद्ध के दौरान रावण पुत्र मेघनाथ इन जवारों की पूजा करता है। वह अपनी जीवन रक्षा की मांग देवी मैया से करता है।
   आज दोपहर जवारे यात्रा निकाली गई ,तो भारत विकास परिषद समर्पण शाखा, जसवंतनगर द्वारा आदर्श बाल विद्या मंदिर, फक्कड़पुरा पर जवारे के जुलूस का भव्य स्वागत किया गया।  आरती की गई। स्वागत में सेब, केला, बिस्कुट के पैकेट  और शीतल जल  की बोतलों का वितरण यात्रा में शामिल लोगों को  किया गया।
    परिषद की ओर से आनंद गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार सोनी, कोषाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, प्रदीप चौरसिया,सचिन तथा अन्य सदस्यों  की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
      जवारे यात्रा, नवदुर्गा शोभा यात्रा एवं जवारे समिति जसवंत नगर द्वारा निकाली गई। नगर पालिका अध्यक्ष सत्यनारायण संखवास भी शोभा यात्रा में मौजूद थे। इनके अलावा कोरी शंखवार समाज के रामनरेश शंखवार, संजीव कुमार, ज्ञानचंद ,शिवकुमार, बृजेश कुमार, देवेंद्र कुमार, प्रेमचंद, राम प्रकाश और श्रीकृष्ण आदि साथ चल  रहे  थे और व्यवस्था संभाले  थे। संपूर्ण समाज साथ चल रहा था।
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 *वेदव्रत गुप्ता

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