मेघनाद द्वारा शक्तिवाण चलाने से लक्ष्मण मूर्छित, राम दल में हाहाकार 

    *समुद्र पर सेतु बांध रामदल लंका में प्रविष्ट       *अंगद रावण के मध्य जबरदस्त संवाद      *कुंभकरण को रोचक ढंग से जगाया गया

 फोटो :-  लक्ष्मण शक्ति के बाद राम विलाप करते, मेघनाद प्रसन्न मुद्रा में समुद्र  पर सेतु बांधकर लंका में प्रवेश करते राम लक्ष्मण, नल नील पत्थर समुद्र में डालते,ढोल बैंड के साथ कुंभकर्ण को  जगाती सूपर्नखा, रावण अंगद में संवाद होता आदि फोटो
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जसवंत नगर (इटावा)। यहां के रामलीला महोत्सव में गुरुवार को लंकाधिपति रावण के पुत्र मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण पर शक्तिवाण चलाये जाने से वह  गंभीर मूर्छा में चले गए, जिससे रामा दल में हाहाकार मच गया।
    मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम भी अपने प्रिय भाई लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने से बिलख बिलख कर रो पड़े।
आज का दिन यहां की मैदानी रामलीला में रामा दल के लिए खुशी की बात  भी लाया था, क्योंकि भगवान राम ने समुद्र पर सेतु  बंधन करके लंका में अपने वानर दल सहित प्रविष्टि ले ली थी, मगर लक्ष्मण को शक्ति लगने से खुशी का माहौल गम में परिवर्तित हो गया। ऐसे मौके पर पवन पुत्र हनुमान ने जो  भूमिका निभाई, वह सदैव सदैव के लिए राम दुलारे बन गए।

इससे पूर्व भगवान राम ने अंगद को दूत के रूप में लंका दरबार भेजा था। बुधवार को हनुमान द्वारा लंका  फूंके जाने से घबराये रावण को आज अपने  6 महीना सोने और 6 महीना जागने वाले भाई कुंभकरण को नींद से जगाना पड़ा।

आज की लीलाओं में प्रदर्शित किया गया कि हनुमान द्वारा लंका जाकर सीता की खोज करने के बाद राम अपने दल-बल के साथ लंका की ओर चलते हैं, लेकिन रास्ते में सबसे बड़ी बाधा थी विशाल समुद्र को पार करना।

भगवान शिव की आराधना करने के बाद जब राम को कोई उपाय नहीं सूझता, तब वह समुद्र का पानी सुखाकर रास्ता बनाने के लिए रामबाण अपने धनुष पर चढ़ाकर समुद्र पर प्रहार करने चलते हैं, तभी समुद्र  प्रकट होकर उन्हें बताता हैं कि आपकी सेना में नल और नील नामक दो वानर हैं, उन्हें वरदान हैं कि वह  दोनों जिस पत्थर को छू लेंगे वह  पानी पर तैरने लगेगा।

आप उनकी सहायता से समुद्र पर पुल बनाकर लंका पहुंच सकते हैं। तब श्रीराम का आदेश पाकर हनुमान पत्थरों पर श्रीराम लिखकर नल-नील को देते हैं और वानर सेना उन्हें समुद्र में डालकर समुद्र पर एक विशाल तैरते हुए पुल की स्थापना कर लंका पहुंचती हैं।

     वार्ता हेतु  दूत के रूप में अंगद को रावण के दरबार भेजा जाता है, तो रावण अंगद को भड़काने हुए कहता है कि ये वही राम हैं, जिसने तुम्हारे पिता के प्राण ले लिए और तुम ऐसे पिता के हत्यारे का साथ दे रहे हो। तुम मेरी सेना में आ जाओ, फिर हम दोनों मिलकर राम को लक्ष्मण सहित युद्ध भूमि से मारकर भगा देंगे।
   इस पर अंगद रावण को उसी की भाषा में जवाब देता है, जिसे सुनकर रावण बौखला उठता है। अंगद भरे दरबार में पैर रोप देता है । जब स्वयं रावण अंगद का पैर उठाने को आ जाता है तब अंगद अपना पैर खुद ही हटाते हुए कहते हैं कि मेरे लिए तो तुम इतने में ही झुक गए कि स्वयं अपने सिंहासन से उतरकर मेरे कदमों में आ गए।
    अंगद रावण संवाद के लिए भी रामलीला समिति ने कानपुर और बांदा के कलाकार बुलाये थे। राम जी बांदा निवासी ने जबरदस्त संवाद किया, इसलिए संवाद काफी रोचक रहा।
     अंगद के जाने के बाद रावण अपने सैनिकों को आदेश देता है कि भाई  कुंभकर्ण को नींद से जगाकर लाओ। लीला मैदान में कुंभकर्ण को जगाने की बहुत ही  रोचक रोमांचक व्यवस्था की गई थी, मैदान में ऊँचे सिंहासन पर कुंभकर्ण अपनी नींद में सोया हुआ था, वहां सैनिक पहुंचते हैं और कुम्भकर्ण को जगाते हैं, किसी तरह न जागने पर उसे तलवार भाले बरछी आदि नुकीले हथियार चुभाकर जगाने का प्रयत्न करते हैं, खूब बैंड बाजे बजाये जाते हैं। फिर भी कुंभकर्ण नहीं जागता, तब अतिकाय पकवानों की व्यवस्था करता है। पकवानों की सुगंध नाक में जाने पर कुंभकर्ण मुस्कुराता हुआ उठ बैठता है।  पहले भरपेट भोजन करता है फिर रावण के दरबार में पहुंचकर जगाने का कारण पूछता है?
    जब रावण के मुख से सीता हरण का वृतांत सुनता है, तो वह रावण को बहुत समझाता  और कहता है कि जिसने स्वयं अकेले ही खर-दूषण जैसे महाबली योद्धाओं सहित आपकी आधी सेना को समाप्त कर दिया। आप उन्हें साधारण मानव समझने की भूल न करें। समय रहते उन्हें जानकी वापस कर दें। इसी में आपका और रावण कुल का कल्याण है। रावण क्रोधित होकर कुम्भकर्ण को खरीखोटी सुनाता है, तब कुम्भकर्ण कहता है कि मैं राम से युद्ध को जाऊंगा ,लेकिन यदि मैं भी राम के हाथों मारा जाऊं तो आप उन्हें सीता वापस कर देना।
   इधर राम दरबार में वापस आकर अंगद बताते हैं कि रावण ने सन्धि के सारे प्रस्ताव ठुकरा दिए हैं। अब युद्ध ही एक अंतिम विकल्प है। राम दल के सभी योद्धा बैठकर अपनी रणनीति तैयार कर रहे होते हैं तभी मेघनाद आ जाता है और लक्ष्मण और मेघनाथ मे जमकर युद्ध का प्रदर्शन होता है। मेघनाद दैवीय
 शक्ति वाण के प्रहार से लक्ष्मण को  मूर्छित कर देता हैं।
    रामदल में हाहाकार मच जाता है। बिना देर किए हनुमान लंका से सुषेण वैद्य को उनके घर सहित उठा लाते हैं। लक्ष्मण की नब्ज देखकर सुषेण वैद्य कहते हैं कि यदि सूर्योदय से पहले लक्ष्मण को संजीवनी बूटी  रस न मिला, तो लक्ष्मण का जीवित बचना असंभव है। बूटी की पहचान न होंने के कारण हनुमानजी वायुवेग से जाकर पूरा पर्वत ही उखाड़ लाते हैं। संजीवनी बूटी का रस पीने के बाद लक्ष्मण की मूर्छा टूट जाती है। मैदान में  उपस्थित सैंकड़ों लोग श्रीराम-लक्ष्मण और बजरंगी की जयजयकार करने लगते हैं। लक्ष्मण शक्ति के दौरान मेघनाथ का  रोल निखिल गुप्ता निभा  रहे  थे।
    रामलीला समिति के प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, संयोजक विधायक प्रतिनिधि ठाकुर अजेंद्र सिंह गौर , रतन पांडे ,निखिल गुप्ता, शुभ गुप्ता, विशाल गुप्ता राजन,प्रभाकर दुबे  आज की लीलाओं के दौरान काफी सक्रियता से मेला मैदान में संलिप्त थे।
शुक्रवार को लीला में नगर की सड़कों पर युद्ध का प्रदर्शन होगा तथा अतिकाय  बध,कुंभकरण युद्ध  कुम्भकर्ण वध आदि   लीलाये आयोजित की जाएगी।
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∆वेदव्रत गुप्ता

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