देश में अब हर वर्ष 26 लाख लोग टी बी रोग से ग्रसित होते हैं:प्रो सूर्यकांत

    *टीबी रेसिस्टेंट सेन्टर का निरीक्षण     *16%रोगियों की संख्या में कमी    *2025 तक देश को टी बी मुक्त करना उद्देश्य

फोटो:- सैफई और विज्ञान संस्थान के  रेस्पिरेटरी  रेजिस्टेंट सेंटर में एक मरीज को चेक करते प्रोफेसर सूर्यकांत
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सैफई/जसवंत नगर (इटावा)25 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (यूपीयूएमएस) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के टीबी रेसिस्टेंट सेन्टर का निरीक्षण चेयरमेन नार्थ जोन टास्क फोर्स नेशनल टीबी उन्मूलन प्रोग्राम एनटीईपी एवं विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसनि केजीएमयू प्रो (डा) सूर्यकान्त ने सोमवार को किया। 
   इस अवसर पर वाइस चेयरमेन एवं नोडल, डीआरटीबी सेन्टर, सैफई एवं विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन डा आदेश कुमार, डा आदित्य कुमार गौतम, डा पीके शुक्ला, एसएमओ डीआरटीबी सेन्टर तथा विभाग के अन्य फैकेल्टी मेम्बर, सीनियर एवं जूनियर रेजिडेंट आदि उपस्थित रहे। 
    टीबी रेसिस्टेंट सेन्टर के निरीक्षण के बाद प्रो सूर्यकान्त ने सेन्टर पर टीबी के गंभीर मरीजों के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इसमें विश्वविद्यायल के कुलपति प्रो0 (डा0) प्रभात कुमार सिंह, चिकित्सा अधीक्षक डा0 एसपी सिंह तथा रेस्पिरिेटरी मेडिसिन विभाग यूपीयूएमएस का  विशेष प्रयास  सराहनीय है।
               प्रो0 (डा0) सूर्यकान्त ने जानकारी देते हुए बताया कि,ग्लोबल टीवी रिपोर्ट 2023 के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया  है कि, भारत में 16 % टीवी के मरीजो में कमी आई है। 18% मृत्युदर में भी कमी आई है। यह भारत के लिए एक बड़ी ही विशेष उपलब्धि भी है। इस उपलब्धि में भारत के जम्मू कश्मीर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश,चंडीगढ़,हिमांचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड राज्य शामिल है। 
     उन्होंने बताया कि देश भर में प्रतिवर्ष लगभग 26 लाख लोग टीबी से ग्रसित होते हैं। देश 2025 तक टीबी को समूल रूप से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन टीबी उन्मूलन के लिए सामुदायिक भागीदारी भी बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल 24 नोडल ड्रग टीबी रेसिस्टेंट सेन्टर हैं। जिसमें प्रदेश के 75 जिलों के बिगड़ी हुए टीबी के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें से एक सेन्टर यूपीयूएमएस के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में भी बनाया गया है, जहाॅ 20 मरीजों का एक साथ इलाज किया जा सकता है। सेन्टर अपने शुरूआत से ही गंभीर टीबी के मरीजों के इलाज के लिए प्रतिबद्ध है।
       फैकेल्टी रेस्पिरेटरी मेडिसिन डा0 आदित्य कुमार गौतम ने बताया कि टीबी माइक्रोबैक्टीरियम टयूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। यह एक इलाज योग्य बीमारी है।
*वेदव्रत गुप्ता
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