हिंदू धर्मावलंबियों ने गोपाष्टमी पर्व पर गौ  माता की पूजा-अर्चना की

     *नंद बाबा ने आज के दिन ही कृष्ण को  सौपायीं थी अपनी गायें 

         

फोटो:- गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करती धर्मालु महिलाएं
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  जसवंत नगर (इटावा)।सोमवार को हिंदू धर्म अनुयायियों ने गोपाष्टमी का पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाते हुए गायों की पूजा की। हालांकि बहुत सी आवारा गाएं सड़कों पर भूखी ही घूमती रही। गौशालाओं में भी उनको किसी ने नहीं पूछा और रोज की तरह उन्हें गौशाला संचालकों ने केवल सूखा चारा डाला। यहां तक कि किसी भी गौशाला में गोपाष्टमी के अवसर पर विशेष सफाई अभियान तक नहीं चलाया गया।

      गोपाष्टमी के पर्व का ब्रज क्षेत्र में बहुत ही महत्व है।  इटावा जिला ब्रज क्षेत्र के 84 कोस के अंतर्गत आता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण को गोपाष्टमी के दिन ही नंद बाबा ने अपनी एक लाख गायों की जिम्मेदारी सौंपायी थी ।फिर भगवान कृष्ण ने इन गायों को चराकर उनका लालन पालन और खूब सेवा की थी।इसलिए यह दिन ब्रज, गोकुल मथुरा ,वृन्दावन, द्वारकाधीश और पुरी में अत्यंत श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। 
   ।गोपाष्टमी के शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय गायों की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु तथा गौमाता की पूजा करने से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। यदि अपनी गाय की भरपूर सेवा की जय , तो गौमाता परिवार और समाज के लिए कामधेनु गाय साबित होती है।
    सामाजिक ताना-बाना और पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव बढ़ने से अब गायों को बहुत ही कम घरों में  लोग पालते ज है । डेयरी के दूध के प्रचलन के बाद तो गायों को पाला जाना बहुत ही कम हो गया है और बूढ़ी और दूध न देने वाली  गायों को तो लोग सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं।
     इस वजह से गायों की पूजा करने के लिए लोग   गायों को तलाशते घूमे। जिनके घरों में गौवंश पले हैं ,वहां जाकर गायों की पूजा की गई। उनको हल्दी और चावल का तिलक लगाया  गया।हरा चारा डाल, गुड़ खिलाया गया तथा  बहुतों ने तो गोपाष्टमी के अवसर पर व्रत रखा और शाम को गायों को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत तोड़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों ने अपने घर पले बैलों की पूजा की
      राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक रामनरेश शर्मा ने सुबह ही अपने घर पर गोपाष्टमी के अवसर पर गौ माता की पूजा की।  उन्होंने  बताया कि गौ माता हमारे लिए एक मातृ  देवता के समान है और इसकी पूजा करने से हमें जो धर्म लाभ मिलेगा, वह अकथनीय है।
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*वेदव्रत गुप्ता
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