शारदीय नवरात्रि 15 से, श्रद्धालु देवी भक्तों ने तैयारियां पूरी की  _____

*बिकने लगी हैं, देवी मूर्तियां *ब्राह्मणी और केला देवी मंदिर पर विशेष प्रबंध

फोटो- बिकने को आई देवी मूर्तियां
   
जसवंतनगर(इटावा)। वर्ष भर में मनाए जाने वाले चार नवरात्रि पर्व, ऋतुओं के बदलाव पर आते हैं। साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है। पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष में,जबकि चैत्र और  क्वार के महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि  देवी भक्तों और श्रद्धालुओं द्वारा पूरे जोशोखरोस से कलश स्थापना,  हवन पूजन और व्रत रखने के साथ  धूमधाम से मनाई जाती है। क्वार के महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

    क्वार में की यह शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर से आरंभ हो रही है और 24 अक्टूबर तक चलेगी। इस नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं और देवी भक्तों में भारी उत्साह है। जोरदार  ढंग से तैयारियां शुरू हो गई है।नगर में अन्य मंदिरों के साथ साथ देवी मैया केला गमा  देवी मंदिर को सजाया जा रहा है। त घर-घर देवी स्थापना की तैयारी चल रही है।
      लोगों में  धर्म के प्रति आस्था बढ़ने से अब नवरात्रि पर्व पर न केवल कलश स्थापना की जाती है,  बल्कि देवी  काली मैया, सिंह वाहिनी आदि देवी मूर्तियों की भी लोग  घरों में विराजित करने लगे हैं।  और नौ दिनों  दिन तक बराबर देवी पूजन और हवन करते हैं।
 घरों में देवी स्थापना की प्रथा  अब शुरू होजाने से बाजारों में देवी मूर्तियों की बिक्री काफी  बढ़ी  है। इस बार भी मूर्तियां बेचने वाले नगर में सिंह वाहिनी दुर्गा मैया की मूर्तियां लाये है ।
यहां बस स्टैंड चौराहे पर आगरा और शिकोहाबाद के कलाकार भव्य मूर्तियां बिक्री करने को लाए हैं, जो 200 रुपए  से लेकर5 हजार रुपए  तक कीमत की है।
       मूर्तियों की बिक्री अभी तो कम थी, मगर गुरुवार से लोगों ने मूर्तियां खरीदनी शुरू की है। नगर में कुछ छोटे दुकानदार भी यहां केला देवी रोड पर और नदी पुल इलाके में मूर्तियां बेचने को लाए हैं। गणपत भगवान की मूर्तियां अपने घरों में विराजित करने वाले लोग उनके चले जाने के बाद अब देवी मूर्तियों को प्रतिस्थापित करके उनकी पूजा करना अपना धर्म मान रहे हैं। मूड स्थापना की यह प्रथा  आगे चलकर और बढ़ाने वाली है।
      रिटायर्ड प्रधानाचार्य और प्रकांड विद्वान पंडित कमलेश कुमार तिवारी ने बताया है कि शारदीय नवरात्रों में देवी और कलश की स्थापना रोग, शोक से  मुक्ति और धन-धान्य और विजय दायिनी होती है।  अपने वनवास काल में भगवान राम सीता और लक्ष्मण ने भी शारदीय नवरात्रि व्रत रखे थे, तभी उन्हें लंकाधपति रावण पर विजय हासिल हुई थी।
 नगर की आराध्य देवी केला देवी मंदिर पर शारदीय नवरात्रियों को लेकर विशेष तैयारी की गई है, ताकि देवी भक्त आकर भली भांति ढंग से दर्शन और पूजन कर सकें।  यहां के बलरई इलाके के यमुना बीहड़ों में विराजित प्राचीन देवी स्थल ब्रह्माणी देवी मंदिर पर भी प्रशासन ने देवी भक्तों के बड़ी संख्या में आगमन को लेकर चाक चौबंद व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं- वेदव्रत गुप्त
*वेदव्रत गुप्ता
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