दूसरे दिन जिनालयों में हुई उत्तम मार्दव धर्म की पूजा

 

इटावा। जैन धर्म के दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना की गयी। जिनालयों में सुबह से ही घंटा घड़ियाल बजने पर पूजा पाठ प्रारम्भ हो गया। जिनालयों में श्रीजी के अभिषेक के बाद संगीतमय नित्य पूजन किया गया वहीं रात्रि में महाआरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

विश्व जैन संग़ठन के अध्यक्ष आकाशदीप जैन ने कहा जैन धर्म के अनुसार विनय के बिना परमात्मा को नहीं पाया जा सकता, मान को त्यागकर, हाथ जोड़कर और अहंकार को छोड़कर जो जीते हैं उनके पास ही होता है विनय। मार्दव धर्म कहता है कि छोटा बनकर जीना है। उत्तम मार्दव धर्म जीवन को सुगंधित करने की सीख देता है। वही लालपुरा स्थित पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में भी उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना के बाद अर्घ्य समर्पित किया गया। छिपैटी स्थित मंदिर में महिलाओं द्वारा विशेष पूजन कर श्रीजी को संयुक्त रूप से अर्घ्य समर्पित किया गया। सभी जिनालयों में रात्रि को महाआरती हुई। नशिया जी ,करनपुरा, बरहीपुरा, पंसारी टोला, फूलन देवी डाँडा सहित अन्य जिनालयों में भी सुबह पूजा अर्चना के बाद रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

 

 

Related Articles

Back to top button