‘गणपति बप्पा मोरिया’ के साथ जसवंतनगर इलाके में 600 से ज्यादा गणपत  विराजे

_____      *स्थापना के लिए की गई विशेष पूजा अर्चना       *जमकर बिके मोदक और फूल मालाएं

 फोटो:- एक गणेश भक्त के घर में सुसज्जित ढंग से विराजित कराए गए सिद्धविनायक गजानन गणेश
   
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जसवंतनगर(इटावा)।  वर्ष भर से भगवान गणपति के आगमन के प्रतीक्षारत श्रद्धालु भक्तों के घरों में मंगलवार को गणेश चतुर्थी के दिन सिध्दीविनायक गणेश जी का आगमन धूमधाम से  हो गया। लोगों ने उन्हें अपने घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर विराजित करके उनकी पूजा ,अर्चना, आरती आदि प्रारंभ कर दी।

     महाराष्ट्र की तरह अब उत्तर प्रदेश में भी गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक “गजानन गणेश” को विराजित कराने की प्रथा जोर-शोर  से पिछले कई वर्षों से आरंभ हुई है। 
   मंगलवार को गणेश चतुर्थी होने के कारण लोगों ने अपने घरों, अपने मोहल्लों तथा सार्वजनिक स्थानों पर “गणपति बप्पा मोरिया” के गूंज के साथ ‘ सिध्दीविनायक गणपति’ को विराजित कराया। 
      विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अकेले जसवंतनगर इलाके के विभिन्न ग्रामों तथा कस्बा जसवंतनगर में 600 से ज्यादा स्थानों पर गणपति विराजित कराये गये हैं,  जिनमे नगर में करीब एक दर्जन स्थानों पर सार्वजनिक तौर पर , जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 30 स्थानो पर गणेश पंडाल सार्वजनिक तौर पर बनाये गये हैं।         हिंदू धर्म से जुड़े और गजानन भगवान के प्रति आस्थावान लोगों ने अपने घरों पर उनकी छोटी-बड़ी मूर्तियां स्थापित कर गणेश पूजन आरंभ किया है। 
 हर जगह “गणपत बप्पा मोरिया” और “जय गणेश जय गणेश देवा” की गूंज मंगलवार को गूंजती रही।
    गणपति स्थापना के कारण नगर में फूलमालाओं और फूलों का न केवल अकाल पड़ गया, बल्कि यह काफी महंगै भी बेचे गए ।गणपति भगवान को भेंट करने के लिए यहां विभिन्न मिष्ठान विक्रेताओ जैसे जैन स्वीट हाउस, महावीर स्वीट हाउस, ब्रज मिठास आदि  पर विशेष प्रकार के  मोदक बनाये गये थे, जो लोग गणेश जी को चढ़ाने के लिए जमकर खरीद रहे थे।
    गणपति स्थापना का मुहूर्त  पूर्वान्ह 11:00 बजे से  दोपहर1:00 बजे तक चला और लोगों ने विशेष पूजा के साथ गणपति स्थापना की। स्थापना दौरान रिद्धि सिद्धि को भी विराजित कराया गया तथा गणेश भगवान की माता पार्वती और भगवान शंकर की भी लोगों ने श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना की।
    बताया गया है कि लोग अपने यहां अपनी श्रद्धानुसार 2 दिन, 5 दिन, 7 दिन अथवा अनंत चौदस तक गणपति को विराजित करेंगे और उसके बाद धूमधाम से उनका विसर्जन करेंगे।
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 *वेदव्रत गुप्ता
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