इटावा। चंबल में साहसिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए ‘चंबल चौलेंजः बाइकर्स हैरिटेज वॉक’ के तहत इटावा, औरैया, उरई, कानपुर और आगरा जिला मुख्यालयों से बाइकर्स निकलकर प्रातः 8 बजे बाबरपुर, अजीतमल पहुंचे। 9 बजे चंबल-यमुना संगम, भरेह का मनोहारी दृश्य ड्रोन कैमरे में कैद किया। कल-कल करती नदियों का प्रवाह, पक्षियों का कलरव सैलानियों को रोमांचित किया। विशालतम भरेह मंदिर और कालखंड के थपेड़ों से जूझता खंडहर दुर्ग देखने के बाद 10 बजे ऊंचे-नीच भरखों का सीना चीर कर निकले रास्तों से चकरनगर से होते हुए सहसो में डाल्फिन की अठखेलियां और घड़ियालों का बसेरा, हिरन, प्राचीन सिद्धनाथ स्थान के नजदीक कछुआ और तैरती मछलियों का समूह दिखा।
दुर्गम रास्तों, कटीले जंगलों और बीहड़ी पगडंडियों से गुजरते हुए कुख्यात दस्यु सरगना सलीम गुर्जर उर्फ पहलवान के गांव स्थित ‘चंबल आश्रम’ में बागियों की दास्तान बाइकर्स सैलानियों के जेहन में उतरती चली गई। सिंध, पहुंज और क्वारी तीन नदियों का अद्भुत और रहस्यमयी संगम का नजारा खुली आंखों से निहारा। जालौन-इटावा जिले की सरहद में तीन नदियों के संगम की खूबसूरती छटा सैलानियों की नजरों से हमेशा अछूता रहा है। इन तीनों नदियों के पानी की धार में अलग-अलग मिट्टी आने से पानी का रंग काला, पीला और लाल रंगों का कोलाज बनाता है। बिलौड़ चौरेला के बीच बरसात के मौसम में हरी-भरी घनी झाड़ियों, औषधीय और दुर्लभ जड़ी बुटियां, ककोरा और गाजे की सब्जियों का आनंद लिया गया। चंबल आश्रम से जखेता के बीहड़ सफारी में 100 मीटर आफ रोड राइडिंग की गई।
पांच नदियों के साथ बहकर आने वाली पंचनदा में विशाल जलराशि और जुहिखा के रेतीले तट से पानी में डूबते सूर्य की किरणों को देखने को मन कभी नहीं भरता रहा। असीम रोजगार की संभावनाओं को समेटे पुनः शीतकालीन सीजन में इटावा के रास्ते वैश्विक प्राकृतिक पर्यटन भिंड, मुरैना और धौलपुर चंबल अंचल में आने वाले स्थानों को हमारे रूट मैप और गाइड के अनुसार यहां बाइकर्स सैलानी अब कभी भी दुरूह और रोमांचकारी यात्रा पर निकल सकते हैं। चंबल चौलेंज बाइकर्स समुह में सौरभ अवस्थी, अनीश थॉमस, आशीष पोरवाल, डॉ. कमल कुमार कुशवाहा, अंकुल कुमार, डॉ. शाह आलम राना, प्रशांत कुमार, फ्रांसिस थॉमस आदि शामिल हैं।