जानिए जगदगुरू रामभद्राचार्य की रोचक बातें
मिलिये, सनातन धर्म के सबसे विद्वान संत #रामभद्राचार्य (73) जी से।
सिर्फ दो माह की उम्र में जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी की आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन इसके बाद भी आज उन्हें 22 भाषाएं आती हैं, 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। ये संस्कृत भाषा के विशेषज्ञ भी है।
साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।
वे न तो पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं।
इसके अलावा ये रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं। जहां दिव्यांगों को विभिन्न तकनीकी शिक्षा भी दी जाती है।
ये श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में, कोर्ट में उपस्थित थे। इन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई…और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा निर्दिष्ट संख्या को खोलकर देखा गया और समस्त विवरण सही पाए गए…जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है…विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर है।
ऐसे परम विद्वान संत केवल सनातन धर्म मे ही हो सकते है। जय श्री राम 🧡