जसवंतनगर में लगे “स्वातंत्र्य स्तंभों”की हालात खराब

   *रामलीला मैदान में लगे हैं ये स्तंभ    *स्तंभों के चारों ओर लगी लोहे की चैने भी चोरी चली गई _______

फ़ोटो: जीर्णोद्धार की आस में खड़े स्वातंत्र्य सैनानी स्तंभ
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जसवंतनगर(इटावा)।देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाने वालों की स्मृति में बने शहीद स्तंभ की सुध लेने वाला यहां अब जसवंतनगर में कोई नहीं है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसी मौका पर भी दो फूल चढ़ाने कभी कोई इन स्तंभों पर नहीं पहुंचा। धीरे-धीरे ये कूड़े में तब्दील होकर अपना अस्तित्व खो रहे है। कभी कोई इन स्तंभों पर दो फूल भी चढ़ाने आज तक नहीं पहुंचा
   बताते हैं कि कस्वे के रामलीला मैदान में शहीद स्तम्भ 1974 में बनाया गया था जिसपर यहां स्वातंत्र्य आंदोलन में भाग लेने वाले  आजादी के परवानों के नाम अंकित है गुजरते दौर में अब लोग इन स्तंभों का सम्मान करना भी भूलते जा रहे हैं। हालत इस कदर खराब हो चुके है कि स्तंभो को सुरक्षित रखने के लिए वहां कोई व्यवस्था नहीं है स्तंभो के आसपास कूड़ा करकट व घास जम रही है। वहां लगी लोहे की जंजीरों को अराजक तत्व चुरा ले गए है।
  बताते हैं कि 1971 में अंग्रेजो के  लड़ाई  लड़ने वाले सपूतों की याद में ये स्तंभ बनाया गया था। स्थानीय प्रशासन या किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा स्मारक के जीर्णोद्धार कार्य करने की अभी तक कोई भी पहल नहीं की गई है। लगभग इस स्तंभों को बने 50 वर्ष बीत चुके हैं, इनपर  लिखे सेनानियों के नाम भी धीरे धीरे मिटते जा रहे हैं। इनकी रंगाई पुताई भी लगने के बाद कभी दोबारा नहीं कराई गई। इस पर भी किसी का ध्यान नही है।  वह तो रामलीला मैदान में चलने वाले हिंदू विद्यालय इंट्रमिडियेट कालेज के प्रधानाचार्य द्वारा निगरानी किए जाने के कारण इन स्तंभों को कोई उखाड़ ले जाया पाया नही है, वरना इनका नामोनिशान भी मिट गया होता।
   अव देखना यह है कि लगभग डेढ माह के बाद स्वतंत्रता दिवस है।लोग आजादी का जश्न मनाएंगे,आजादी के लिए अपनी जीवन को खपाने वाले सपूतों को याद करने वाला कोई है या नहीं यह तो तभी पता चलेगा
   नगर पालिका अध्यक्ष सत्यनारायण शंखवार का कहना है कि अभी हाल ही में वह पालिका अध्यक्ष बने हैं।वह इन स्तंभों को देखने के लिए मौके पर जाएंगे। उनकी देखरेख तथा उनके सौंदर्य करण की व्यवस्था करेंगे।
*वेदव्रत गुप्ता

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