भागवत कथा दूसरे दिन जारी
इटावा। स्थानीय अशोकनगर भरथना चौराहे के निकट स्थित गुरु पूर्णिमा आश्रम सोमवार से प्रारंभ हुए गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत भागवत कथा एवं रामचरितमनस सत्संग समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को सिरसागंज से पधारे पंडित विजय कुमार रामायणी जी ने राम कथा कहते हुए गोस्वामी तुलसीदास के मंतव्य को स्पष्ट करते हुए मंगलाचरण के श्लोक पढ़े और कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने अपने अंतःकरण की संतुष्टि के लिए ही मानस की रचना की जो सर्वहितकारी सिद्ध हुई महापुरुषों का व्यक्तित्व सदैव परोपकारी होता है।
रामायणी जी ने ऋषि भारद्वाज के संदेहास्पद प्रश्न का जवाब देते हुए महामुनी याज्ञवल्क्य ने कहा कि इसी तरह का संदेह माता सती को हुआ था और वह स्वयं श्रीराम का प्रभुत्व जानने की इच्छा से सीता का रूप धारण कर बनवासी राम के सामने पहुंची तो अंतर्यामी राम ने सब कुछ जान लिया लेकिन भोलेनाथ ने अपनी आराध्या जानकी जी का स्वरूप धारण करने के कारण माता सती का संसर्ग त्याग दिया फलस्वरूप माता सती को अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में योगाग्नि के द्वारा अपने आप को जला दिया।
व्यासपीठ से व्याख्यान देते हुए पंडित विजय रामायणी ने कहा कि साक्षात परब्रह्म परमात्मा स्वरूप श्री राम के व्यक्तित्व पर किसी प्रकार की शंका नहीं की जा सकती जनहित के लिए यह अवतार हुआ संयम श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण का कथन है कि परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम् धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे। रसिक हरिदास विनोद कुमार द्विवेदी ने बताया कि राम कथा पर रामायणी जी के व्याख्यान के साथ हुई पंडित राज नारायण दीक्षित जी के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत महापुराण के महात्म्य एवं प्रथम स्कंद के चुनिंदा प्रसंगों पर अद्भुत व्याख्यान चला। 3 जुलाई गुरु पूर्णिमा तक चलने वाले इस अनुष्ठान में व्याख्यान देने के लिए देश भर के विद्वान मनीषी क्रमशः पधार रहे हैं और सोमवार 3 जुलाई को ब्रह्म भोज के साथ अनुष्ठान पूर्ण हो जाएगा।