भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए : पंडित राम कृष्ण बाजपेई
रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
फफूंद,औरैया। विकास खण्ड भाग्यनगर के गांव पुरवा भवानी में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को कथा व्यास पंडित राम कृष्ण बाजपेई ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है। इस अवसर पर परीक्षित गीता देवी पत्नी शिव भगवान मिश्रा, आलोक कुमार मिश्रा, अखिलेश कुमार मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, संतोष मिश्रा, अनुज मिश्रा सहित सैकड़ो भक्त मौजूद रहे।