मैनपुरी खेतों में पराली इत्यादि जलाने से होती है उर्वरा शक्ति  नष्ट – जिलाधिकारी

जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन गोष्ठी का हुआ आयोजन

पंकज शाक्य

मैनपुरी- जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन गोष्ठी में उपस्थित किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि कृषक भूमि की उवर्रा शक्ति बढ़ाने की के बारे में सोचें, फसल अवशेष खेतों में जलाकर सूक्ष्म जीवाणुओं को क्षति न पहुंचाएं, भूमि की उवर्रा शक्ति को प्रभावित न करें। उन्होंने कहा कि पराली का प्रयोग जैविक खाद बनाने में करें, अपने समीपवर्ती गौशाला को दान करें, अपने पालतू पशुओं को चारे के रूप में खिलाएं, फसल अवशेष जलाकर पयार्वरण प्रदूषण न करें, समय-समय पर निगर्त न्यायालयों के आदेशों का पालन करें ऐसा कोई कृत्य न करें, जिससे अन्नदाता किसान पर कायर्वाही के लिए विवश होना पड़े। उन्होंने कहा कि केंद्र, प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र क्रय करने पर अनुदान दिया जा रहा है, पराली प्रबंधन के लिए सुपर-स्ट्रा, बेपर आदि कृषि यंत्रों पर शासन द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, कृषक अनुदान पर कृषि यंत्र खरीदें और पराली फसल अवशेष को खाद के रूप में प्रयोग कर खेतों की उवर्रा शक्ति बढ़ाएं।
श्री सिंह ने किसानों का आव्हान करते हुए कहा कि धान की फसल की अवशेष पलारी खेतों में किसी भी दशा में न जलाएं, फसल अवशेषों के जलाने से पयार्वरण प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्व को अत्याधिक क्षति एवं मिट्टी के भौतिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, फसल अवशेषों के जलाने से सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी होती है, फसल अवशेष खेतों में जलाए जाने के कारण भूमि के बंजर होने का खतरा बना हुआ है। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार खेतों में फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है। उन्होने कहा कि कम्बाइन हावेर्स्टिंग मशीन के साथ स्ट्रा रीपर विद बाइण्डर का प्रयोग अनिवार्य किया जाये, बिना रीपर मशीन का प्रयोग करने वाले कम्बाइन मशीन चालकों, जिन कृषकों द्वारा पराली, कृषि अपशिष्ट जलाने की घटना प्रकाश में आयेगी उनकेे विरूद्ध दण्डात्मक कायर्वाही अमल में लायी जायेगी। उन्होने गोष्ठी में उपस्थित कृषकों से कहा है कि बरसता के मौसम में वैक्टर जनित बीमारियों का खतरा रहता है, इसलिए मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, कहीं भी जलभराव न होने दें, बुखार होने की दशा में झोलाछाप चिकित्सक से इलाज न करायें बल्कि समीपवर्ती सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर प्रशिक्षित चिकित्सक से इलाज करायें, अपंजीकृत पैथोलाॅजी से जांच कराने से बचें, जांच भी सरकारी चिकित्सालयों में करायें।
मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि भूमि की उवर्रा शक्ति फसल अवशेषों का प्रयोग जैविक खाद के रूप में करने से होगी, रसायनिक खादों की अंधाधुंध प्रयोग से भूमि के बंजर होने का खतरा बना रहेगा इसलिए सभी कृषक जैविक खादों को अपनाएं, कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने की सोचें। उन्होंने कहा कि खेतों की मृदा हमें अन्न प्रदान करती है, जिस अन्न को खाकर हम सब जीवन-यापन कर रहे हैं, उस मृदा के नष्ट करने, कमजोर बनाने की गलती न करें, मिट्टी के मित्र बनकर उसकी देखभाल करें, कीट मित्रों को बचाएं ताकि भूमि की मिट्टी की सेहत दुरुस्त रहे। उन्होंने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि यदि किसी भी कृषक को कोई समस्या हो तो उनके कायार्लय में आकर बताएं, दूरभाष पर संपकर् करें, किसानों की समस्याओं के साथ-साथ उन्हें शासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही योजनाओं का लाभ प्राथमिकता पर मिलेगा।
उप निदेशक कृषि डी.वी. सिंह ने बताया कि फसल अवशेष पराली प्रबंधन हेतु शासन द्वारा कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है इसके अतिरिक्त समितियों को 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गये हैं, गत वर्ष 06 एवं इस वर्ष 04 कुल 10 कृषि यंत्र समितियों को अनुदान पर उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्हें किसान सस्ती दर पर किराए पर लेकर धान कटाई के लिए प्रयोग करें, धान कटाई एसएमएस लगी मशीन से ही करें, पराली को जलाए नहीं बल्कि उसका सदुपयोग करें। कृषि वैज्ञानिक डा. विकास रंजन चैधरी ने मृदा सेहत एवं कृषि वैज्ञानिक डा. एस.के. पांडे ने पशुपालन के संबंध में विस्तार से कृषकों को बताया।  इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सहित बड़ी संख्या में कृषक आदि उपस्थित रहे।

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