देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फूले के जन्मदिन पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन
क्रासर : *सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उनके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की गयी।* *इस अवसर पर गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया गया।*
माधव सन्देश/ ब्यूरो चीफ जय सिंह यादव रायबरेली। भारतीय बौद्ध महासभा उत्तर प्रदेश पंजीकृत जिला इकाई रायबरेली ने राष्ट्र माता एवं प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फूले का जन्मदिन डॉ अंबेडकर बुद्ध विहार पंचशील नगर बालापुर में मनाया। उनके जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी के माध्यम से उनके कार्यों को याद किया गया। विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए महासभा के अध्यक्ष डॉ सुनील दत्त ने बताया कि उनका जन्म महाराष्ट्र के सातारा जनपद में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। उनका विवाह 1840 में महान समाज सुधारक ज्योतिबा राव फूले से हुआ था। उन्होंने 1 जनवरी 1848 को देश में बालिकाओं की शिक्षा के लिए पहला विद्यालय खोला। अपने जीवन काल में अपने पति ज्योतिबा राव फूले के साथ मिलकर उन्होंने दर्जनों विद्यालयों की स्थापना किया। 28 नवंबर 1890 को ज्योतिबा राव फूले के देहांत के उपरांत उनके अधूरे कार्यों को पूरा किया। सत्यशोधक समाज को गति प्रदान किया । गरीबों और असहायों की सेवा करते हुए प्लेग महामारी के संक्रमण से 10 मार्च 1897 को इस दुनिया से चली गई।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए महासभा के महामंत्री प्रमोद कुमार बौद्ध ने बताया कि सावित्रीबाई फूले अपने पति ज्योतिबा राव फूले के साथ मिलकर सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन किया। बाल विवाह, सती प्रथा, भ्रूण हत्या और जाति प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का खंडन किया। विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। विधवाओं और अनाथों के लिए आश्रम खोलें। अछूतों और बालिकाओं के लिए विद्यालय खोले।
इस अवसर पर महासभा के उपाध्यक्ष सरोज अनिल कुमार, राजेश कुरील, अमर सिंह, इंजीनियर एस. के. आर्या , बौद्ध भिक्षु डॉ कमल सील, भिक्षु सील सागर आदि ने भी उनके जीवन पर प्रकाश डाला। भीम कुमार, मुन्ना लाल, छोटेलाल, सूरज यादव, इंजीनियर वंश बहादुर यादव, समुझ लाल , मोहनलाल , राम लखन , कमल सोनकर , वंश गोपाल, जे पी रावत, ऊषा, आशा आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में गरीब और असहाय बालक बालिकाओं को निशुल्क पठन- पाठन सामग्री वितरित की गई।