कवि सम्मेलन में हास्य और श्रंगार की कविताओं ने जमकर बटोरी तालियां
अजीतमल।अजीतमल कस्बे के जनता महाविधालय में शनिवार को आयोजित विशाल कवि सम्मेलन समारोह में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पधारे कवियों ने देर रात तक हास्य ,व्यंग और श्रृंगार की कविता सुना कर श्रोताओं को तालियां बजाने को मजबूर किया।
कबि सम्मेलन का शुभारम्भ उपजिलाधिकारी अजीतमल अखिलेश कुमार सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया तत्पश्चात कार्यक्रम के आयोजक मंडल के डा0 उपेन्द्र त्रिपाठी, डा0 पीपी सिंह, प्रमोद दुबे, लाल सिंह आदि द्वारा, प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष उत्तम कुमार दुबे, प्रबन्धक सुनील कुमार दुबे तथा प्राचार्य डा0 अरविन्द कुमार शर्मा अध्यक्ष रानी पोरवाल का सहित आगंतुक कवियो का स्वागत किया।
कवि सम्मेलन की शुरूआत फिरोजाबाद से पधारे कवि प्रवीण पाण्डेय प्रज्ञार्थु ने गीत गाता रहू मॉ तुझे करू अर्पण सरस्वति बन्दना से किया ,इटावा से पधारे डा0 कमलेश शर्मा ने तुलना हो आचरण की तो गंगा के साथ हो, बलिदान की हो जब तो पतंगा के साथ हो।
इलाहाबाद से पधारे डा0 श्लेश गौतम ने हो चुका सवाल अब जबाब चाहिए क्या हुआ कैसा हुआ हिसाब चाहिए, बरसो से खौलता हुआ लावा ये कह रहा इस सदी को फिर से इंकलाब चाहिए वही इलाहाबाद से ही पधारी बन्दना शुक्ला ने दिल के तार जोड़ते रूठे गीत मनाते है हम अपनी मस्ती में रहते गीत प्रेम के भरते हैपर जमकर तालियां बटोरी।
कानपुर से पधारी राधिका त्रिपाठी ने करते है बैचेन पिया के वैन प्रीत की रीत न जानू गीत सुनकर पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज ता रहा कवि राम भदावर के काव्य पाठ की श्रोताओं ने सराहना कर कविता संस्कारो ने सिखाई परिपाती बलिदान की पर तालियां बजाईं, मंच के
वरिष्ठ कबि पदम अलवेला ने अब भी लगती है मुझे बुढ़िया बहुत हसीन क्या दिखलादू वो घंटी बाला सीन, घंटी की आवाज सुनकर वह दौड़ी दौड़ी आती थी। कवि राहित चौधरी ने भी काव्य पाठ किया वही संचालन कर रहे हास्य कबि लटूरी सिंह लट्ठ ने कुशल संचालन से हास्य पाठ कर श्रोताओं को हंसने को मजबूर कर दिया ।