डिंपल के मुकाबले मैनपुरी में अपर्णा का अपनी पहचान बनाना मुश्किल
*सैफई इलाके की बहू, मगर कभी किसी से नहीं मिली
फोटो:- देवरानी जेठानी अपर्णा और डिंपल
जसवंतनगर /सैफई (इटावा)। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी द्वारा अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने से भारतीय जनता पार्टी को अपना प्रत्याशी उतारने के लिए अब फूंक फूंक कर कदम उठाना पड़ रहा है। क्योंकि अभी तक भाजपा को उम्मीद थी कि सपा की ओर से तेज प्रताप सिंह यादव को मैदान में उतारा जाएगा। भाजपा उनके विरुद्ध रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारने की सोच रही थी।
डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा चुनाव में उतरने से यह तो साफ हो गया है कि समाजवादी पार्टी उनकी जीत के लिए कोई कदम उठाने में कोई गुरेज नहीं करेगी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ उपचुनाव में चुनाव क्षेत्र में जाने से परहेज रखा था। वह अपने चचेरे भाई और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के लिए प्रचार करने भी आजमगढ़ नहीं गए थे, मगर उन्हें मैनपुरी मैं खुद प्रचार करने आना पड़ेगा ।उनका इसलिए भी जरूरी है ,क्योंकि वह इस लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र करहल के विधायक भी हैं।
जोरदार चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी लोहे से लोहा काटने की रणनीति के तहत डिंपल यादव के खिलाफ उनकी देवरानी अपर्णा यादव को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है ।अपर्णा यादव अखिलेश यादव के सौतेले भाई की पत्नी हैं । वह एक बार लखनऊ से समाजवादी पार्टी के टिकट पर खड़ी होकर विधानसभा चुनाव भी हार चुकी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जब उन्हें सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने विधानसभा टिकट नहीं दी, तो वह नाराज होकर समाजवादी कुनबा छोड़ भाजपा में चली गई थी। उनका भाजपा में जाना राजनीति क्षेत्रों में काफी चर्चा का विषय बना था। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ अभियान भी चलाया था। उसके बाद अपर्णा का नाम प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर भी खूब चर्चा चली थी, मगर भाजपा ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना गवारा नहीं किया था।
अभी हाल में नेताजी मुलायम सिंह की मृत्यु के बाद अखिलेश के सौतेले भाई प्रतीक यादव उनके अंतिम संस्कार से लेकर अन्य सभी संस्कारों में सैफई आकर शामिल हुए थे ,मगर अपर्णा केवल शांति यज्ञ के दिन ही सैफई आई थी, जिस बात को लेकर सैफई ही नही, सर्वत्र उनके खिलाफ खराब संदेश गया था। लोगों में चर्चा हुई थी कि एक बहू के नाते अपर्णा को अपने ससुर मुलायम सिंह के अंतिम क्रिया कर्मों के कामों में बराबर रहना चाहिए था। मगर वह आखिर क्यों नहीं आई।
प्रतीक और अपर्णा दोनों ही सैफई से कभी भी दिली रूप से नहीं जुड़े। उनका आना-जाना यदा-कदा ही रहा है। अपर्णा यादव, मुलायम।की पौत्री और तेजप्रताप की।बहन शालू यादव की शादी में भी नहीं आई थी। जबकि नेताजी मुलायम सिंह यादव अस्वस्थ होने के बावजूद इस शादी में मौजूद रहे थे। अपर्णा के अलावा उनकी सास साधना यादव और प्रतीक यादव ने भी इस शादी में मौजूद न रहकर यह संदेश दिया था कि वह परिवार से कोई खास मतलब नहीं रखती ।इस बात को लेकर भी सैफई इलाके में खूब चर्चा हुई थी।
प्रतीक यादव की शादी सैफई में ही धूमधाम से हुई थी।फिर कभी सैफई क्षेत्र से उन्होंने भी कोई खास मतलब नहीं रखा, जबकि मुलायम परिवार के सारे लोग सैफई से जुड़े रहे । जब भी चुनाव हुए तो सैफई में रहकर ही चुनाव अभियानों में भाग लेते रहे। इसके पीछे यह बताया जाता है कि प्रतीक यादव की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी मगर अपर्णा शुरू से ही राजनीति में रुचि।के बावजूद नही आईं। नेताजी ने उन्हें कभी इसलिए ही चुनाव मैदान में नहीं उतारा ,मगर अखिलेश ने 2017 के चुनाव में उन्हें लखनऊ से टिकट देकर उनकी महत्ता बढ़ाई थी, परंतु वह चुनाव हार गई थी
मैनपुरी संसदीय क्षेत्र पिछले 25 वर्षों से समाजवादी रंग में रंगा हुआ है। जब से इस संसदीय सीट का परिसीमन से हुआ और इसमें जसवंतनगर विधान सभा इलाका भी शामिल हो गया ,तो यह संसदीय क्षेत्र समाजवादी पार्टी के लिए और भी आसान सीट बन गई। इसीलिए नेताजी कई बार यहां से सांसद रहे। उनके अलावा उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव और तेजप्रताप भी यहां से आसानी से विजई हुए।
अपर्णा यादव कभी मैनपुरी इलाके में चुनाव प्रचार करने में नहीं आई चाहे नेता जी का चुनाव रहा हो अथवा धर्मेंद्र यादव या तेजप्रताप का । इसलिए अपर्णा यादव की मैनपुरी इलाके में कोई पहचान नहीं है। लोग बस इतना जानते हैं कि यह मुलायम परिवार की बहू भर है।
भारतीय जनता पार्टी अपर्णा यादव के नाम पर विचार तो कर रही है, लेकिन समीक्षकों का मानना है डिंपल यादव की स्टारडम क्षवि के आगे अपर्णा मतदाताओं में वह पहुंच नहीं बना पायेंगी, जो भाजपा उनसे अपेक्षा कर रही है।
दरअसल में अपर्णा यादव सैफई में एक बहू की तरह ही घर की चौखट तक सीमित रही अथवा लखनऊ में ही बनी रही। उन्होंने कभी सैफई गांव में कभी किसी कार्यक्रम में भी भाग नहीं लिया और न ही गांव में कभी किसी घर के घर आईं, गई। इसके अलावा सैफई ,जसवंत नगर, करहल इलाके में भी कभी उनके पांव किसी भी रूप में कहीं कभी भी नहीं पडे। इसलिए चुनाव दौरान उन्हें लोगों में अपनी पहचान बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी का कैडर वोट भले ही उन्हें प्राप्त हो जाए ,मगर डिंपल यादव के मुकाबले वह कोई बड़ा सेटबेक करने में कामयाब होगी, इसकी कम ही संभावना है।
*वेदव्रत गुप्ता