हिंदू धर्म में विवाह एक संस्कार है समझौता नहीं
अजीतमल।बाबरपुर कस्बे में मान स सम्मेलन समारोह के रजत जयंती वर्ष पर आयोजित छह दिवसीय कार्यक्रम के आयोजन में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से पधारे मानस मनीषियों ने मानस की चौपाइयों के माध्यम से समाज को दिशा देने का प्रयास किया गुरुवार को कार्यक्रम की शुरुआत मानस समिति के सदस्य डॉ रामनाथ राजपूत ने सपत्नी भगवान के विग्रह पर आरती के बाद आयोजन समिति के डा उमेश चंद्र दिक्षित, राम दर्शन कठेरिया ,संजीव पोरवाल लक्ष्मण तिवारी ,लाल जी पोरवाल , कन्हैया चौहान होरी लाल पोरवाल, के द्वारा मानस मनीषियों के स्वागत के बाद प्रवचन की शुरुआत की गई जनपद बांदा से पधारे मानस वक्ता डॉ यज्ञेश मिश्रा ने मानस की चौपाई
राम सिय सिर सेंदुर देहि, उपमा कैही न जात विधि कैही
पर राम विवाह की चर्चा करते हुऐ उन्होंने कहा कि मातृशक्ति सम्मानीय हैं ,हिंदू धर्म में विवाह एक संस्कार है अन्य धर्मों की तरह समझौता नहीं है अन्य धर्मों के लोग शादी के बाद समझौते को तोड़ देते हैं और पति पत्नी दूसरा विवाह कर लेते है हिंदू संस्कृति में विवाह का समझौता मृत्यु के पश्चात ही टूटता है जनपद के विख्यात मानस वक्ता सीता शरण जी महाराज ने भी विवाह संस्कार से लेकर मनुष्य के कई संस्कारों की चर्चा की जालौन से पधारे रमेश रामायणी ने मानस की चौपाइयों के माध्यम से राम और लक्ष्मण के भाई धर्म की विस्तृत चर्चा करते हुए समाज को दिशा दी वही जालौन से ही पधारे राजेश बुधौलिया ने धनुष यज्ञ , सीता विवाह पर चर्चा कर मानस की चौपाई बड़े भाग्य मानुष तन पावा की विस्तृत व्याख्या कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मानस वक्ताओं द्वारा प्रतिदिन दोपहर व रात्रि की बेला में चलने वाले इस कार्यक्रम में भारी संख्या में मानस प्रेमियों की भीड़ कार्यक्रम स्थल पर पहुंच रही हैं ।