सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन ,श्रीजी की पालकी यात्रा निकली

 *आगे आगे आदित्य सागर महाराज चल रहे थे *आचार संहिता के कारण बैंड बाजे नहीं बजे

फोटो: सिद्धचक्र विधान के समापन पर लुदपुरा जैन मंदिर से निकाली गई पालकी यात्रा, जिसमें साथ चलते मुनि आचार्य आदित्य सागर जी महाराज

जसवंत नगर(इटावा)। पिछले 8 दिनों से लुधपुरा मोहल्ला के प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान का बुधवार को समापन हो गया।

इस महामंडल विधान का संपूर्ण आयोजन जैन मुनि आचार्य आदित्य सागर जी महाराज की अगवाई में आयोजित किया गया था।

विधान की समाप्ति के बाद श्री जी की पालकी यात्रा निकाली गई ।यह नवनिर्मित पालकी बिना बैंड बाजे और भीड़भाड़ के आदर्श आचार चुनाव संहिता के तहत निकाली गई।

पालकी यात्रा के लिए जैन समाज ने प्रशासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ले पाई थी, इस वजह से पहले तो प्रशासन ने इसे निकालने को लेकर मना किया, मगर आयोजकों द्वारा शांतिपूर्ण और बिना शोर-शराबे के जब पालकी यात्रा दिगंबर जैन मंदिर जैन मोहल्ला तक निकालने का आश्वासन दिया, तो फिर पालकी यात्रा निकाली जा सकी।

पालकी में तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ की आगवानी की गई। श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान महोत्सव का वीरेंद्र जैन वीरू द्वारा आयोजन कराया जा रहा था ,जिसमें समस्त दिगंबर जैन समाज द्वारा सहयोग करते हुए तीर्थंकर भगवान एवं सिद्धचक्र यंत्र की पूजा अर्चना की जा रही थी।

समापन दिवस पर बुधवार को प्रातः तीर्थंकर भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। उसके बाद सिद्ध चक्र पूजन, महार्घ्य व यज्ञ के साथ विधान का समापन हुआ।

श्री जी की भव्य नई पालकी लुधपुरा जैन मंदिर से प्रारंभ होकर जैन बाजार स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पहुँची, जहां पर जैन समाज द्वारा तीर्थंकर भगवान की भव्य अगवानी की गई। वापस लुदपुरा जैन मंदिर में पालकी यात्रा पहुंचकर तीर्थंकर भगवान को विराजमान करते ही विधान का समापन हुआ।

पालकी के साथ इन्द्रो मैं अनिमेष जैन, अमन जैन, आयुष जैन, राजा जैन, रजत जैन, अक्षत जैन, सनी जैन, रितिक जैन, अंशुल जैन, वंश जैन, आर्जव जैन, निक्के जैन आदि प्रमुख थे। कुबेर इन्द्र अमित जैन बने।पालकी यात्रा की जगह जगह आरती उतारी गई। महिलाएं नमोकार मंत्र का उच्चारण करते चल रही थीं।

इससे पूर्व अपने समापन प्रवचन करते आचार्य आदित्यसागर महाराज ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जैन धर्म स्वीकार कर सकता है। अहिंसा धर्म जीवन भर अपनाने वाला निश्चय ही जैन वृत्ति का होता है। उन्होंने लुधपुरा के जैन मंदिर को रोज सांयकाल खोलने का जैनानुयाईयो को निर्देश दिया। उन्होंने महिलाओं, पुरुषों, बच्चों सभी की तारीफ करते कहा कि उनकी लगन और परिश्रम से सिद्ध चक्र विधान का सफल आयोजन संपन्न हो सका।

कार्यक्रम को सफल बनाने में जैन समाज के साथ-साथ वीरेंद्र जैन,, राजकुमार शर्मा, बल्ले जैन, देवेंद्र कुमार जैन सुइयां, ,संजीव जैन, सत्य प्रकाश जैन ,सुरेंद्र जैन, अजय जैन, प्रवीण जैन पिंटू, विनोद निक्का जैन, राजीव जैन ,प्रदीप जैन, विजय कुमार जैन , चेतन जैन , प्रवीण जैन के जैन, बल्ले जैन , बंटू जैन , राजीव जैन विक्की जैन, रोहित जैन आदि सहयोग कर रहे हैं। का सराहनीय सहयोग रहा।

*वेदव्रत गुप्ता

Related Articles

Back to top button