डीएपी खाद को लेकर मारामारी, आलू उत्पादन कम होने की उम्मीद

 *एक बीघा के लिए मात्र 14 किलो दी जा रही

फोटो- गुरुनानक देव जयंती की छुट्टी के बावजूद किसान सेवा सहकारी समिति जसवंत नगर के गोदाम में डीएपी खरीदने के लिए लगी किसानो की भीड

जसवंतनगर(इटावा)। किसानो में इन दिनों डीएपी खाद्य की किल्लत को लेकर हायतौबा मची है। जरूरत अनुसार खाद उपलब्ध न होने से किसानों में आलू,,गेंहू सरसों आदि की पैदावार कम होने की चिंता घर कर गई है।

सरकारी मानक के अनुसार एक बीद्या पर 14 किलो डीएपी दी जा रही है, जबकि किसानो का कहना है कि एक बीघा में एक बोरी यानि 40 किलो डीएपी डाली जाती है, तभी फसल की पैदावार सही मिलती है। किसान खाद विक्रय केंद्रों के चक्कर काट रहा और परेशान है। किसान सेवा सहकारी समिति लिमिटेड ,जसवंतनगर के खाद बिक्री केन्द्र की सचिव प्रियंका यादव ने बताया कि जितनी डीएपी खाद आई है, वह समिति के सदस्यों के हिसाब से अपर्याप्त है। इस कारण सदस्य किसानों का भारी दबाव आ रहा है।

बीते शनिवार को 500 बोरी डीएपी खाद आई।उसका वितरण चल रहा है, लेकिन जरूरतमंद समिति के सदस्य किसानों की संख्या काफी ज्यादा है ।इस कारण वह लगातार समिति कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। चाहते हैं कि उन्हें डीएपी जरूरत अनुसार उपलब्ध की जाए।

इसके अलावा समिति पर जहां डीएपी बोरी1350 रूपये की मिल रही है, वही प्राइवेट दूकानो पर उत्तम डीएपी की कीमत 1500 रूपये है।

बताते है कि पिछले वर्ष कुल 800 मैट्रिक टन खाद्य प्राप्त हुई थी, उसके सापेक्ष मे कुल 480 मैट्रिक टन ही अभी तक प्राप्त हुई है। लगभग 300 से ज्यादा मैट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता अभी ओर है।तभी किसानो की पूर्ति की जा सकती है।

जसवंतनगर आलू उत्पादक क्षेत्र है। आलू उत्पादक किसानो ने बताया कि इस क्षेत्र मे डीएपी खाद्व की हर वर्ष किल्लत होती है। प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि जसवंतनगर में डीएपी खाद की उपलब्धता को बढ़ाया जाए।

∆वेदव्रत गुप्ता

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