प्रभु की भक्ति और समर्पण ही भगवान को प्राप्त करने का रास्ता : आदित्य सागर

*लुधपुरा जैन मंदिर में सिद्धचक्र विधान मंडल *चल रहे हैं आचार्य सुबह शाम प्रवचन

फोटो:- सिद्धचक विधानमंडल मैं आचार्य आदित्य सागर महाराज प्रवचन करते और महिलाऐं विधानमडल में पूजा आरती करती

जसवंतनगर (इटावा)। जैन आचार्य आदित्य सागर महाराज ने कहा है कि प्रभु के प्रति समर्पण ही भक्ति है। अतः भक्ति करके ही भगवान को प्राप्त किया जा सकता है

नगर के लुधपुरा मोहल्ला स्थिति महावीर दिगंबर जैन मंदिर में सोमवार से चल रहे 8 दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में मुनि आचार्य गुरुवार शाम अपने प्रवचनों के जरिए लोगों को ज्ञान उपदेश दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि समर्पण गुणों के प्रति होना चाहिए। ऐसी किंबदंती है कि एक बार नारायण श्री कृष्ण की पटरानी रुकमणी मैं नारायण श्री कृष्ण से कहा कि हम आपकी 18000 रानियां हैं ।सब एक से एक बढ़कर हैं, गुणवान है ,फिर भी आप उस ग्वाले की छोकरी राधा को क्यों इतना चाहते हैं ?

तब श्री कृष्ण ने कहा कि इसका उत्तर समय आने पर देंगे ।एक दिन श्री कृष्ण ने अपनी रानियों एवं राधा के समर्पण की परीक्षा ली। स्वयं बीमार बहुत बीमार हो गए और कहा कि हमारे पेट में अत्यधिक तेजी से दर्द हो रहा है ।ऐसा लग रहा है कि मानो प्राण ही निकलने वाले हैं ।

राज्य वैद्य को बुलाया गया। सभी लोग उपचार के कार्य में लग गए, लेकिन कोई आराम नहीं मिल रहा था, तभी पटरानी रुकमणी ने पूछा कि हे प्राणनाथ ऐसा दर्द कभी और भी पहले भी हुआ था, तब नारायण ने कहा कि हां एक बार पहले भी हुआ था ,तब उपचार क्या किया गया था?… तब नारायण श्री कृष्ण ने कहा कि राधा जी ने अपने चरण धोकर उसका जल दिया था, तो वह ठीक हो गए थे। यदि तुम भी अपने चरण धुला कर मुझे पिला दो ,तो मैं ठीक हो जाऊंगा ।तब रानी रुक्मणी बोली , हे स्वामी मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं। ऐसा करने से हम नरक चले जाएंगे। क्या कोई रानी अपने स्वामी को अपने पैर धूलाकर कैसे पिला सकती है।

आचार्य श्री ने बताया कि राधा का नारायण के प्रति समर्पण था उसे प्रभु प्राप्ति चाहिए थी।स्वर्ग नरक से उसे कुछ लेना देना नही था।

अपना चातुर्मास समाप्त करके आचार्य आदित्य सागर महाराज और क्षुल्लक सिद्ध सागर यहां लुधपुरा मंदिर्मे प्रवास कर।इन दिनों रोजाना सुबह शाम प्रवचन कर रहे हैं।

चल रहे सिद्ध चक्र विधान केआयोजन में हालांकि सारा व्यय वीरू जैन द्वारा किया जा रहा है ,फिर भी लुधपुरा समाज के देवेंद्र कुमार जैन ,संजीव जैन, सत्य प्रकाश जैन ,सुरेंद्र जैन, अजय जैन, प्रवीण जैन, विनोद निक्का जैन, राजीव जैन ,प्रदीप जैन, विजय कुमार जैन , चेतन जैन आदि सहयोग कर रहे हैं।प्रवचनों के पूर्व जैन धर्म से संबंधित प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई, जिसमे शिशुओं, किशोर ,किशोरियों ,महिलाओं व पुरुषों ने सटीक उत्तर देकर पुरस्कार जीते ।अंत में श्रीजी की आरती के उपरांत आचार्य आदित्य सागर जी महाराज की आरती बड़ी ही धूमधाम से जैन श्रद्धालुओं द्वारा की गई।

∆वेदव्रत गुप्ता

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