वतनवां सूना होइ गवा
चढि विमान किहे मुलायम स्वर्ग की ओर पयनवां।
रोवै देश कै हरियर धरती, रोवै देश कै नील गगनवां।
वतनवां सूना होइ गवा ।
कहि मुलायम रोवै जनता, और रोवैं गरीब, किसनवां।
हमारा मसीहा चला स्वर्ग का, शहीद परिवार करैं रुदनवां।
वतनवां सूना होइ गवा ।
नेताजी नेताजी कहि नेता रोवें, अध्येता कहिकै मुलायम।
धन्य रही तोहरी रीति नीति, जेहसे तोहरा जलवा कायम।
वतनवां सूना होइ गवा ।
आये मित्र और विरोधी आये, आया देश औ सगरो जहनवां।
अंतिम यात्रा में साथ चली, महफ़िल छोडि कै हर कमंवा।
वतनवां सूना होइ गवा ।
समाजवाद के झंडा का, बनिकै जेपी कै शिष्य उठाया।
हर गरीब मजदूर के हितमां, आपन हरदम कदम बढ़ाया।
वतनवां सूना होइ गवा ।
हर बुजुर्ग का पेंशन देइके, किहा बड़े पुण्य कै कमंवा।
विधवा कै दुःख समझ बूझि, किहा समाजवादी पेंशन कै ऐलनवां।
वतनवां सूना होइ गवा ।
बिटियन की शिक्षा के खातिर, कन्या विद्या धन लै आया।
आवै जाइ के खातिर वनका, साइकिल खूब यूपी मां बंटाया।
वतनवां सूना होइ गवा ।
यश भारती कै किहा घोषणा, देई का बुद्धिजीविन का सम्मान।
बेरोज़गारन का दैकै भत्ता, किहा देश मा अनूठा काम।
वतनवां सूना होइ गवा ।
बन्या मिनिस्टर रक्षा कै जब, केहा गजब कै नेता कमंवा।
शहीद कै शव पहुंचे घर मा, बनाया धरतीपुत्र तू नियमवां।
वतनवां सूना होइ गवा ।
दर्द समझि कै सैनिक कै, लखनऊ मा निगम बनाया।
तोहरे निर्णय के बल नेताजी, पूर्व सैनिक सम्मानित रोटी पाया।
वतनवां सूना होइ गवा ।
द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानी कै, विपदा तुंहका पड़ी दिखायी।
जीवनयापन के खातिर पेंशन, उनकै झटपट देहा बनायी।
वतनवां सूना होइ गवा ।
नाम तोहार गगन में चमके, जिस चमकय गगन मा ध्रुवतारा।
10 अक्टूबर धन्य होइ गवा, पाइकै नेताजी साथ तुम्हारा।व तनवां सूना होइ गवा ।
स्वतंत्र लेखक /हरिराम यादव