सनातन संस्कृति व परम्परा का हिस्सा है कुश्ती, आधुनिकता के दौर में विलुप्त हो रहीं परम्पराएं : कृष्णानन्द

राष्ट्रीय स्तर के पहलवान करेंगे प्रतिभाग

माधव संदेश/ ब्यूरो चीफ रायबरेली।बछरावां, रायबरेली। कुश्ती हमारी सनातन संस्कृति व परम्परा का हिस्सा है। आधुनिकता के इस दौर में ढेर सारी परम्पराएं विलुप्त होती जा रही हैं ऐसे में कुश्ती को जीवित रखने व अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करने के लिए दंगलों के माध्यम से कुश्ती जैसी प्रतियोगिताओं के आयोजन समय-समय पर किए जाने चाहिए ताकि हमारी लोक संस्कृति व परंपराएं जीवित रह सके। उक्त बातें क्षेत्र के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मुड़िया डीह आश्रम के पीठाधीश्वर श्री कृष्णानन्द महाराज गुरु जी ने बताई। उन्होंने बताया कि 17 अक्टूबर दिन सोमवार को आश्रम द्वारा विराट दंगल का आयोजन किया गया है। इस दंगल का आयोजन विगत कई दशकों से करवाचौथ के बाद पड़ने वाले प्रथम सोमवार को होता आ रहा है लेकिन कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से दंगल का आयोजन नहीं हो पाया था। इस बार पुनः दंगल का आयोजन पूर्व की तरह ही होगा। दंगल में जैसे पहले जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों के पहलवान भाग लेते रहे हैं, गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्तर के पहलवान दंगल में प्रतिभाग करेंगे।

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