किसान धान की फसल कटाई के बाद फसल के अवशेष को कदापि ना जलाएं : डीएम

फसल अवशेषों को जलाने पर आर्थिक दंड का प्रावधान

माधव संदेश /ब्यूरो चीफ रायबरेली। जिलाधिकारी श्रीमती माला श्रीवास्तव ने किसानों से अपील की है कि धान की फसल कटाई के बाद किसान फसल अवशेष कदापि न जलाये क्योंकि इससे प्रदूषण होता है, तथा मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के निर्देशो की अवहेलना होती है, जिससे सम्बन्धित व्यक्ति दण्ड का भागी होता है। इसके साथ ही आर्थिक दण्ड का भी प्रावधान किया गया है जिसमें 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रुपये 2500 प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ के लिये रूपये 5000 प्रति घटना, 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिये रुपये 15000 प्रति घटना आर्थिक दण्ड का भी प्रावधान है।

जिलाधिकारी ने कहा है कि किसान पराली न जलाकर पराली को खेत में सड़ाकर जिसके लिए 6 किग्रा0 प्रति बीघा यूरिया का छिड़काव करके मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की जुताई करके उसे खाद के रूप में उपयोग करे, साथ ही गढ्ढे की खुदाई करके डिकम्पोजर के द्वारा पराली को सड़ाकर खाद बनाये जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी तथा जमीन की उर्वरा शक्ति भी अच्छी होती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में उपलब्ध जीवाणु एवं पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। किसान भाइयो के लिए यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि गौशाला में पराली देते है तो गौशाला से उन्हे खाद भी उपलब्ध करायी जायेगी।

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