भारी वर्षा से किसान तबाह, धान – बाजरा और सब्जियों को भारी नुकसान
हर सब्जी होगी मंहगी
फोटो:भारी बरसात से सिसहाट रोड पर पानी में डूबा एक बाजरा का खेत
जसवंतनगर(इटावा)।अक्तूबर के महीने में हो रही रिमझिम और मूसलाधार वर्षा किसानों की तबाही का पैगाम बन गई है। धान, बाजरा उत्पादक किसानों के दिल बैठे जा रहे हैं, वर्षा ने उनकी खड़ी फसलों को बर्बद करके रख दिया है। खेत डूब गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि 5 अक्तूबर से लेकर आज तक जसवंतनगर और सैफई इलाके में 174 मिली मीटर वर्षा हो चुकी है, जो वर्षा का अक्टूबर महीने में नया रिकार्ड है।
सब्जी उत्पादक किसान तो हाथ पर हाथ धरे रह गए है। क्योंकि उनके खेतों में बोई गई धनिया, मैंथी, गाजर, मूली,सोया उगने से पहले ही या तो डूब गई है और जो अभी चार छह दिन पहले बोई गई थी,उनके बीज अब उगने की बजाय खेतों में तैर रहे या अब सड़ जायेंगे। इनके लिए किसानों द्वारा की गई मेहनत और अच्छी पैदावार के लिए डाले गए खरपतवार नाशक और फर्टिलाइजर भी बह गए।
बताया गया है कि इस क्षेत्र में सैकड़ों बीघा क्षेत्र में किसान बैगन, गोभी,पत्ता गोभी, मिर्च, टमाटर की पौध तैयार करते और बाहर की मंडियों में ले जाकर इनको रोपने के लिए सब्जी उत्पादक किसानों को बेचकर ,जो बढ़िया कमाई कर लेते थे, उनकी पौध तीन चार दिन से लगी बरसात की झड़ी में बरवाद हो गई है। जिन किसानो ने पौध खरीदकर अपने खेतों में इन सब्जियों की रोपाई की थी, वह भी वर्षा से गिरकर बरवाद हो गई।
हरी मटर की बुबाई होनी अभी 25 सितंबर से शुरू हुई थी। मटर का बीज वैसे ही 80- 100 रुपए और उससे ऊपर किसानों ने खरीदा वह भी जमने से पहले ही खेतों में बरवाद हो गया। साथ ही खेतों में पानी भर जाने से गर्की के हालात पैदा हो गए।इस वजह ओट आने में 15 दिन भी लगा,तो मटर इस बार बहुत लेट पैदा होगी या।बाजार में बाहर से आकर मंहगी बिकेगी।
25 सितंबर से किसान इस इलाके में आलू की अगैती बुबाई शुरू कर देते हैं। साथ ही15 अक्तूबर से सभी किसान आलू बोना शुरू कर देते है। मगर आलू की अगैती और मुख्य फसल अब एक साथ तब ही बुबेगी, जब बरसात पूर्ण रूपेण थमे और खेतों में ओट आ जाए। सरसों की बुबाई भी खेत भर जाने से अब लेट हो गई है।
पाठकपुरा गांव के किसान रामप्रकाश ने बताया है कि उसने आलू की बुवाई की पूरी तैयारी कर ली थी, मगर अब आज से यदि बरसात एक दम बंद हो भी जाए, तब कहीं 15-20 दिन में बुबाई शुरू हो पाएगी।
मोहनपुरा के किसान छोटे लाल ने बताया कि उसका धान पक चुका है। बरसात ने पैदावार का अब तक 40 फीसदी बरवाद कर दिया है। ऐसे ही लरखौर के किसान दिनेश अग्निहोत्री ने बताया कि बाजरे के खेतों में बाली बनकर तैयार हो रही, उन्हें इस बेमौसम बरसात ने नष्ट करना शुरू कर दिया हो। पेड़ खेतों में पसर गए हैं और कंडवा राग भी अब पैदा हो जायेगा।
निलोई, नगला कुंआ , हरकूपुर, प्रताप पुरा, महलई, लुधपुरा, दुर्गापुरा गांवों में गोभी, बैगन, टमाटर, मैथी, धनियां, गाजर आदि सब्जियां बोने वाले किसान, इन फसलों के बरसात होने के चलते काफी दुखी हैं, उनका कहना है कि इस बार नवंबर, दिसंबर में सब्जियों की पैदावार न केवल कम होगी,बल्कि लोगों की मंहगी बाहर से आई खरीदनी पड़ेगी।
~वेदव्रत गुप्ता