सनातन संत, मंत्र, सद्ग्रन्थ और देव का कभी भी परीक्षण न करें- प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेम भूषण जी महाराज
विश्राम दिवस पर श्रीराम कथा सुनने उमड़ी 10000 से अधिक राम भक्तो की भीड़

- सुदिती ग्लोबल एकेडमी में श्रीराम कथा महोत्सव का विश्राम दिवस।
- पाण्डाल के बाहर बैठकर भी श्रीरामकथा का श्रवण किया श्रीराम भक्तों ने।
ब्यूरो रिपोर्ट – राजनारायण सिंह चौहान
मैनपुरी ( माधव संदेश ) सनातन धर्म के प्रति अविश्वास रखकर परीक्षण करने वाले का अस्ति होना सुनिश्चत होता है। उादहरण है माता कुंति के द्वारा सनातन मंत्र का परीक्षण। कुंति माता जीवन भर उस एक घटना के दुष्प्रभाव से उबर नहीं सकीं।
सनातन सद्ग्रन्थ राम चरित मानस के मर्मज्ञ और श्री रामकथा गायन के लिये विश्वविख्यात गृहस्थ संत प्रेमभूषण जी महाराज ने सुदिती ग्लोबल एकेडमी में आयोजित नौ दिवसीय श्री रामकथा महोत्सव के विश्राम दिवस पर कथागायन करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए।
नौ दिवसीय रामकथा गायन के पूर्णाहूति सत्र में उक्त सूत्र बताते हुये कहा कि श्री रामकथा सभ्सी सनातन सद्गन्थों का सार है अज्ञैर इसी सद्ग्रन्थ में रामजी और नारद मुनि के बीच के संवाद में बताया गया है कि भारत भूमि पर श्रीराम नाम सभी भगवन्न नामों में सर्वश्रेष्ठ है। यह भी जानने योग्य है कि संकल्पपूर्वक भगवान की सेवा-पूजा में लगे रहने वाले मनुष्य की भगवान स्वयं उस प्रकार से रक्षा करते हैं जैसे माता अपने बच्चों की करती है।
पूज्य श्री ने कहा कि भगवान में लगा हुआउ व्यक्ति कभी भी संशय में नहीं रहता है। उन्होने कहा कि भयग्रस्त वही व्यक्ति रहता है जो अपने कर्तव्य का निष्ठा से पालन नहीं करता और डरता व छिपता रहता है। जो विद्यार्थी होमवर्क नहीं करके विद्यालय आते हैं, वही शिक्षक से भयभीत रहते हैं।
पूज्य श्री ने कहा कि श्रीराम कथा हमें यह सिखाती है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में जितना अधिक शीलवान होगा, उसी को लोग पसन्द करते हैं और सभी सद्गुण भी उसके पास स्वत अवतरित होते जाते हैं। गुण भी उसी व्यक्ति का गाया जाता है जो शीलवान हो। विवेकी मनुष्य अपने जीवन में हमेशा सद्गुणों को ही ग्रहण करता है, दुर्गण को तो अबोध बच्चों में जल्दी प्रवेश पाता है।
श्री राम कथा के विश्राम सत्र मैं पूज्य प्रेमभूषणजी महाराज के मुखारबिंद से श्रीराम कथा गायन शुरू हुआ तो पूरा पांडाल भक्ति के रस में डूब सा गया। ‘हम रामजी के रामजी हमारे है सेवा ट्रस्ट’ के बैनरतले कथागायन करने वाले प्रेममूर्ति श्रीप्रेमभूषणजी महाराज ने कहा कि मनुष्य जब सत्कर्म करता है तो उसके माता-पिता और गुरु के साथ ही पितरों की भी प्रशंसा होती है। देवता भी ऐसे व्यक्ति के पितरों की प्रशंसा गाजे-बाजे के साथ करते हैं। इसलिये हमें अपने जीवन में सदा सत्कर्म के पथ पर चलने का ही प्रयास करना चाहिये।
श्रीराम कथा शुरू होने से पहले एवं प्रेममूर्ति प्रेमभूषणजी महाराज द्वारा कथा शुरू करने के बाद भी निरन्तर भजनों की गंगा माहौल को भक्ति के रस से सराबोर करती रही। इस दौरान पांडाल में जय सियाराम व जय श्री राम के जयकारे गूंजते रहे।
इससे पूर्व श्री प्रेमभूषणजी महाराज के व्यास पीठ पर विराजित होने से पहले व्यासपीठ की विधिवत पूजा की गई। उनके व्यास पीठ पर विराजने के बाद कथा संयोजक डॉक्टर राम मोहन, डॉक्टर कुसुम मोहन, महामण्डलेश्वर स्वामी श्री हरिहरानन्द जी महाराज, डॉक्टर अजय पाल सिंह जी एवं श्रीमती सुशीला, श्रीमती कुसुम, दीपक, शिशिर, निशु एवं खर्ब परिवार, डॉक्टर बृजेश यादव, श्री अवधेश यादव पूर्व एमएलसी, श्री सोबरन सिंह विधायक, श्री धर्मेन्द्र धवल, जिला प्रांत प्रचारक आरएसएस आदि ने महाराज जी को माला पहनाकर और व्यासपीठ का पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया।
कथा के समापन सत्र की आरती में मुख्य यजमान के साथ जगदीश नारायण त्रिपाठी, उषा त्रिपाठी, हरी बाबू गुप्ता, डॉ सुमंत गुप्ता, पवन गोयल काका, राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, अवधेश शर्मा, शेष नारायण दीक्षित, महेश् मिश्रा, प्रवीन पालीवाल, आनंद मिश्रा एडवोकेट, सतेंद् मिश्रा, प्रमोद दुबे बाबाजी आदि मौजूद थे। विश्राम दिवस पर श्रीराम कथा सुनने 10000 से अधिक राम भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ी। पाण्डाल के बाहर बैठकर भी श्रीराम भक्तों ने श्रीरामकथा का श्रवण किया।
हम राम जी के राम जी हमारे हैं सेवा ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी तारकेश्वर मिश्रा ने सभी राम भक्तों का स्वागत किया।