बरसते रहे बदरा, निकलती रही भोले भंडारी की भव्य बारात
फोटो:दूल्हा बने शंकर भगवान की आरती उतारते सुधीर गुप्ता साथ में वेदव्रत गुप्ता
जसवंतनगर(इटावा)। नगर में शुक्रवार रात भगवान भोले भंडारी शंकर की बारात परंपरागत ढंग से निकाली गई।बारात में भव्य झांकियां, भूतप्रेत तो थे ही, मगर इंद्र देवता ने खूब तांडव मचाया और बारात प्रारंभ होने के शुरू हुए काले बादलों ने बरस बारसकर बारातियों को सराबोर रखा।
शंकर बारात 40 वर्षों से निकल रही, मगर ऐसा कभी नहीं हुआ की बारात के 6 घंटे भ्रमण के दौरान बरसात ने थमने का नाम न लिया हो।
केला त्रिगमा देवी मंदिर पर दूल्हा बनकर लुधपुरा तिराहा से बारात आरंभ हुई। दूल्हा बने भगवान शंकर की प्रथम आरती मुख्य अतिथि आगरा के उद्योगपति सुधीर गुप्ता ने बारात समिति के अध्यक्ष वेदव्रत गुप्ता के साथ की। बग्घी पर सवार दूल्हा भोले भंडारी ने दोनों को आशीर्वाद और पीत पटका, भगवान शंकर की मूर्ति से नवाजते आशीर्वाद दिया। इस मौके पर बारात समिति के कोषाध्यक्ष मनोज गुप्ता, राजीव गुप्ता आढ़ती, सुमित शुक्ला,भोले झा,अतुल गुप्ता कल्लू,अश्वनी पुरवार, अनिल गुप्ता अन्नू ने भी अभिनंदन किया। इसी के साथ बारात आरंभ हो गई। डोला बने शिव जी की छवि देख हर कोई नतमस्तक हो रहा था, पुष्पवर्षा और आरती श्रद्धालु करने लगे। इसी के साथ 3 बैंडों, 15 दैवीय झाकियों ढोल बेंड और भूतप्रतों संग बारात बढ़ चली। अभी 4 सौ मीटर बढ़ी ही थी कि छोटे चौराहे से बरसात की झड़ी लग गई, जो रात दो बजे तक बारात के 6 घंटे के रास्ते में बराबर तेज और धीरे बरसती रही।
रास्ते में लायंस क्लब द्वारा राहुल गुप्ता के द्वार पर विनोद यादव, विनय पांडे, आलोक गांगलस की अगुआई में , मनोज खाद वालों के घर और डॉक्टर शिव गौर, नागेंद्र सिंह गौर, रिद्धिमा गौर आदि ने दूल्हा भोले नाथ की बारात का उन्हे रोककर स्वागत किया।
बारात में झांकियों में ओम पर पवन पुत्र, महाकाल, मछली पर विष्णु भगवान, सिंह वाहिनी दुर्गा, स्वातिक पर अष्ट देवी,हाथी पर सवार इंद्र , मत्स्यवतार, राधाकृष्ण आदि काफी प्रभावित कर रहीं थीं। भारी वर्षा के बावजूद थाना प्रभारी ए एस सिद्दीकी, कस्बा चौकी निरीक्षक कपिल चौधरी, महिला पुरुष फोर्स के साथ भींगते व्यवस्था में जुटे रहे। भीड़ भी ऐतिहासिक थी।
रामचंद्र गुप्ता, हरिश्चंद्र, नवीन गुप्ता,सनी गुप्ता, लकी गुप्ता एवं कमेटी के सदस्यगण इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व बारात को सफल बनाने में बराबर जुटे रहे। बाद में बिलइया मठ पर संपन्न हुई।
~वेदव्रत गुप्ता
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