कुंभकर्ण को रावण ने नींद से उठाया, लक्ष्मण को लगा शक्ति वाण
*राम सेतु बांध लंका में घुसा राम दल*कुम्भकर्ण ने नींद से जगाने में पसीने छूटे*मेघनाद ने चलाया लक्ष्मण पर शक्ति वाण
फोटो:निर्मित रामसेतु पार कर लंका में प्रवेश करता रामा दल
जसवंतनगर(इटावा)3 अक्तूबर।यहां की ऐतिहासिक राम लीला में सोमवार को समुद्र पर सेतु निर्माण, रावण-अंगद संवाद, कुंभकर्ण के नींद से जागने और लक्ष्मण शक्ति की लीलाये आयोजित की गई।
हनुमान द्वारा लंका जाकर सीता की खोज करने के बाद राम अपने दल-बल के साथ लंका की ओर चलते हैं लेकिन रास्ते में सबसे बड़ी बाधा थी विशाल समुद्र को पार करना। भगवान शिव की आराधना करने के बाद जब राम को कोई उपाय नहीं सूझता ,तब वह समुद्र का पानी सुखाकर रास्ता बनाने के लिए रामबाण अपने धनुष पर चढ़ाकर समुद्र पर प्रहार करने चलते हैं तभी समुद्र देवता प्रकट होकर बताते हैं कि आपकी सेना में नल और नील नामक दो वानर हैं, उन्हें वरदान हैं कि वे जिस पत्थर को छू लेंगे ,वो पानी पर तैरने लगेगा ।आप उनकी सहायता से समुद्र पर पुल बनाकर लंका पहुंच सकते हैं।
फोटो – लक्ष्मण के शक्तिवान लगने पर खुश सूपनखा ,कुंभकर्ण को जगाया जाता
तब राम का आदेश पाकर हनुमान पत्थरों पर श्रीराम लिखकर नल-नील को देते हैं और वानर सेना उन्हें समुद्र में डालकर समुद्र पर एक विशाल तैरते हुए पुल की स्थापना कर लंका पहुंचते हैं। दूत के रूप में अंगद को रावण के समक्ष भेजा जाता है तो रावण अंगद को भड़काने हुए कहता है कि ये वही राम हैं जिसने तुम्हारे पिता के प्राण ले लिए थे और तुम ऐसे पिता के हत्यारे का साथ दे रहे हो तुम मेरी सेना में आ जाओ फिर हम दोनों मिलकर राम को लक्ष्मण सहित युद्ध भूमि से मारकर भगा देंगे।
इस पर अंगद रावण को उसी की भाषा में जवाब देते हैं जिसे सुनकर रावण बौखला उठता है। और अंगद का पैर उठाने को आ जाता है तब अंगद अपना पैर खुद ही हटाते हुए कहते हैं कि मेरे लिए तो तुम इतने में ही झुक गए कि अपने सिंहासन से उतरकर मेरे कदमों में आ गए।
अंगद के जाने के बाद रावण अपने सैनिकों को आदेश देता है कि कुंभकर्ण को नींद से जगाकर लाओ लीला मैदान में कुंभकर्ण को जगाने की बहुत ही सुंदर व्यवस्था की गई थी मैदान में ऊँचे सिंहासन पर कुंभकर्ण अपनी नींद में सोया हुआ था वहां सैनिक पहुंचते हैं और कुम्भकर्ण को जगाते हैं किसी तरह न जागने पर उसे तलवार भाले बरछी आदि नुकीले हथियार चुभाकर जगाने का प्रयत्न करते हैं लेकिन फिर भी कुंभकर्ण नहीं जागता तब अतिकाय पकवानों की व्यवस्था करता है पकवानों की सुगंध नाक में जाने पर कुंभकर्ण मुस्कुराता हुआ उठ बैठता है। पहले भरपेट भोजन करता है फर रावण के दरबार में जागने का कारण पूछता है। जब रावण के मुख से सीता हरण का वृतांत सुनता है तो वह रावण को बहुत समझते हुए कहता है कि जिसने स्वयं अकेले ही खर-दूषण जैसे महाबली योद्धाओं सहित आपकी आधी सेना को समाप्त कर दिया।
रावण क्रोधित होकर कुम्भकर्ण को खरीखोटी सुनाता है तब कुम्भकर्ण कहता है कि मैं राम से युद्ध को जाऊंगा लेकिन यदि मैं भी राम के हाथों मारा जाऊं ,तो आप उन्हें सीता वापस कर देना।इसके बाद रामलीला कमेटी की ओर से।कुंभकर्ण को जगाने की लीला पूरे मैदान में बड़ी ही भव्यता और जोरदार कुंभकर्ण की क्खर्रतों के साथ प्रदर्शित की गई।
इधर राम दरबार में वापस आकर अंगद बताते हैं कि रावण ने सन्धि के सारे प्रस्ताव ठुकरा दिए हैं अब युद्ध ही एक अंतिम विकल्प है।
राम दल के सभी योद्धा बैठकर अपनी रणनीति तैयार कर रहे होते हैं तभी मेघनाद आ जाता है और मेघनाद के शक्ति वाण के प्रहार से मूर्छित हो जाते हैं। और रामदल में हाहाकार मच जाता है। बिना देर किए हनुमान लंका से सुषेण वैद्य को उनके घर सहित उठा लेते हैं। लक्ष्मण की नब्ज देखकर सुषेण वैद्य कहते हैं कि यदि सूर्योदय से पहले लक्ष्मण को संजीवनी बूटी का रस न मिला तो लक्ष्मण का जीवित बचना असंभव है।
बूटी की पहचान न होंने के कारण हनुमानजी वायुवेग से पूरा पर्वत ही उखाड़ लाते हैं। संजीवनी बूटी का रस पीने के बाद लक्ष्मण की मूर्छा टूट जाती है। और मैदान में उपस्थित हजारों लोग श्रीराम-लक्ष्मण की जयजयकार करने लगते हैं।
लीलाओं में राजीव गुप्ता, बबलू, अजेंद्र सिंह गौर, हीरालाल गुप्ता, अनिल गुप्ता अन्नू, निखिल गुप्ता,विवेक रतन शर्मा, तरुण मिश्रा, रामनरेश पप्पू, पंडित रामकृष्ण दुबे, पंडित उमेश चौधरी आदि का निर्देशन रहा।
रिपोर्ट~वेदव्रत गुप्ता
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