गोवर्धन भगवान की कथा के दौरान भगवान को किया छप्पन भोग का प्रसाद अर्पण

औरैया/बाबरपुर। बाबरपुर कस्बे की सब्जी मंडी स्थित संतोषी माता मंदिर पर नवरात्रि के अवसर पर चल रही कथा मे सोमवार को आचार्य छबीले छैल बिहारी जी महाराज ने गोवर्धन भगवान की कथा का वर्णन किया कथा पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी इंद्र की पूजा कर रहे थे जब उन्होंने अपनी मां को भी इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो सवाल किया कि लोग इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं तो मां ने बड़े प्रेम भाव से बताया गया कि इंद्र भगवान वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती और हमारी गायों को चारा मिलता है। तब श्री कृष्ण ने कहा ऐसा है तो सबको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं।

उनकी बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। इसके बाद इंद्र को पता लगा कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं और अपनी भूल का एहसास हुआ। बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए तभी सभी गोवर्धन भगवान की पूजा करते आ रहे है कथा के दौरान कथा के दौरान कथा कथा के परीक्षित गजेंद्र महाराणा व निशा महाराणा ने गोवर्धन भगवान की पूजा कर 56 प्रकार भोग अर्पण कर वितरित किया गया। भागवत कथा भागवत कथा की व्यवस्था मे बृजेश पोरवाल, रामशरन राजपूत, पिंटू सोनी ,राम कुमार जैन ,शेष कुमार पोरवाल ,हरिओम पोरवाल, मनोज पोरवाल, राजू गुप्ता, शिवशरण लाल जी पोरवाल, रामप्रकाश, बसंत कुमार, सेलू जैन, रितिक महाजन विनीत सविता, किशन सोनी, पुष्पेंद्र सोनी, सत्येंद्र महाराणा, कुकू पोरवाल, वीनू गुप्ता,

विमल शर्मा, आकाश पाल , रितिक तिवारी ,अर्पित पोरवाल यश पोरवाल, शिवा सोनी अंशुल गुप्ता,आयुष पोरवाल , कुनाल पोरवाल,ईशु राजपूत, दीपक कुमार आदि का विशेष सहयोग रहा।

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