जैन मंदिर में शुरू हुआ कल्पद्रुम महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ 

*सज गया भगवान का शमवशरण *शिवकांत-आराध्य परिवार द्वारा शमवशरण का शुभारंभ

फोटो – कलश यात्रा निकालती अष्ट कुमारियां एवं इंद्राणियां

जसवंतनगर, टाइम्स ब्यूरो। नगर के जैन बाजार स्थित प्राचीन पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शुक्रवार से चातुर्मास महोत्सव के तहत 10 दिवसीय कल्पद्रुम महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन शुरू हो गया।

ससंघ यहां चातुर्मास कर रहे अध्यात्म योगी आचार्य आदित्य सागर महाराज के पावन सानिध्य में इसकी शुरूआत हुई। कल्पद्रुम महामंडल विधान जैन धर्म के विभिन्न विधानों में सर्वोत्कृष्ट विधान माना गया है।

चातुर्मास समिति द्वारा संयोजित इस विधान की शुरूआत में प्रातः अष्ट कुमारियां एवं इंद्राणीयाँ कलश यात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से निकालतीं और जय घोष के नारों के साथ जैन मंदिर पहुंचीं,जहां मंत्रोच्चारण के साथ बेदी शुद्धि रस्म प्रतिष्ठाचार्य रवि कीर्ति शास्त्री जी ने कराई।मंदिर जी के शीर्ष पर ध्वजारोहण अनीता,एकांश, मणिकांत जैन परिवार द्वारा किया गया।

महामंडल विधान के शमवशरण एवं मंडप का उद्घाटन इंद्रजीत -शिवकांत जैन, आराध्य -अमिता जैन द्वारा आचार्य श्री के सानिध्य में किया गया। शमवशरण की महिमा देखते ही बन रही थी। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में जैनानुयाईयों ने जय -जयकार के उद्घोष के साथ हिस्सा लिया।

आचार्य आदित्य सागर ने कल्पद्रुम एवं शमवशरण के बारे में विस्तार से बताते कहा कि यह वह स्थान होता है, जहां बैठकर तिर्यंच, मनुष्य, देव ,और सभी जन,तीर्थंकर भगवान की वाणी को दिव्य-ध्वनि में सुनते हैं । भगवान के दर्शन और उनकी अमृत वाणी सुन अपने जीवन को सफल बनाते हैं।

चातुर्मास प्रबंध समिति ने बताया कि इस 10 दिवसीय आयोजन में रोजाना आचार्य श्री के प्रवचन होंगे।इसके अलावा विधान, भक्ति, महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

रिपोर्ट~वेदव्रत गुप्ता

 

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