जीवन जीने की चाह कभी नहीं छोड़नी चाहिए संस्कृति विवि में मनाया गया विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

संस्कृति विश्वविद्यालय में ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिंवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस)’ पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएं अपने पोस्टर प्रदर्शित करते हुए। साथ में डीन और शिक्षिकाएं

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ ह्यूमेनिटी एंड सोशल साइंसेज द्वारा ‘वर्ल्ड सुसाइड प्रिंवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस)’ पर आयोजित कार्यक्रमों में संस्कृति विवि के विद्यार्थियों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। विद्यार्थियों ने अपने भाषणों में जहां एक ओर जीवन के महत्व की बात की वहीं जीवन में कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ने पर जोर दिया।
इन कार्यक्रमों की विशेष बात यह थी कि इनको विद्यार्थियों द्वारा संचालित और समन्वित किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने लघु नाटक, स्लोगन और पोस्टर प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया। विद्यार्थियों ने अपने भाषणों में बताया कि देश के साथ-साथ दुनियाभर में बढ़ती आत्महत्याओं पर रोक लगाने और उसके लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के सहयोग से हर वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। छात्रा प्रीती ने कहा कि अवसाद समेत कई अन्य कारणों से देश-दुनिया में आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहें हैं। इसपर रोक लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह प्रयास निश्चित ही हम युवाओं को जागृत करने में बड़ी मदद करेगा। छात्रा प्रियंका ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, आत्महत्या की वजह से हर साल दुनियाभर में आठ लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते देते हैं। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर 15-29 साल के लोग शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर किशोर और युवा उम्र के लोग हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या की अधिकतर घटनाएं विकसित और विकासशील देशों में सामने आ रही हैं। पढ़ाई का दबाव और नौकरी न मिलना आत्महत्या की प्रमुख वजह है।
लघु नाटकों के माध्यम से छात्रा कोमल, निशु, मथु, प्रीति, फैजिया, निकिता, प्रियंका, नैना, छात्र आनंद ने काम के जरिये उम्मीद पैदा करने का संदेश दिया। यह संदेश ही इस वर्ष डब्लूएचओ द्वारा इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम है। डब्ल्यूएचओ इस थीम के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि आत्महत्या करने के बारे में सोचने वाले लोगों को कभी भी जीने की चाह नहीं छोड़नी चाहिए।
कार्यक्रम में उद्घाटन वक्तव्य असिस्टेंट प्रोफेसर उर्वशी शर्मा ने और संस्कृति स्कूल आफ साइकोलाजी की डीन डा. मोनिका अबरोल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्र निशु गौतम ने किया। इस मौके पर विवि के अकेडमिक डीन डा. योगेश चंद्र, स्कूल आफ बेसिक साइंस एंड एप्लाइड साइंस के डीन डा. डीएस तौमर, इंक्यूबेशन सेंटर के सीईओ डा. अरुण त्यागी, डा. विनय मलिक, डा. रतीश शर्मा, शिक्षिका तन्वी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।

रिपोर्ट /- प्रताप सिंह

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