किसान के बेटे नीरज चोपड़ा ने इन मुश्किलों का सामना करके भारत को दिलाया टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक
भाला स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में भारत के पहले ट्रैक और फील्ड स्वर्ण पदक विजेता बने और ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय भी बने। यह लड़का तब से शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जब से भारतीय 23 वर्षीय लड़के के बारे में सब कुछ जानने के लिए उत्सुक हैं।
टोक्यो ओलंपिक से लौटने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीरज ने कहा कि मैंने दूसरा थ्रो 87.58 का किया। इसके बाद अगले थ्रो में मैं और अधिक अच्छा करने की कोशिश कर रहा था। मुझे लग रहा था कि 90 मीटर पार सकता हूं और इसके कारण बाकी के सारे थ्रो खराब हो गए।
नीरज के आखिरी थ्रो से पहले ही उनका गोल्ड पक्का हो गया था। जिसके बारे में नीरज ने कहा कि वो उस थ्रो के समय बिल्कुल खाली हो गए थे। उन्होंने बस रन लिया और थ्रो कर दिया। जबकि उनका आखिरी का थ्रो पिछले थ्रो से काफी ठीक रहा था।
वह क्या खाता है, कैसे सोना जीता है और अरबों लोगों का प्यार और प्रशंसा पाकर कैसा महसूस होता है। हरियाणा में पानीपत के पास खंडरा गांव के किसान का बेटा, जिसने फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर का थ्रो करके एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रखा और ओलंपिक में ट्रैक और फील्ड पदक के लिए भारत के 100 साल के इंतजार को खत्म किया।