स्वराज इंडिया पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन के अवसर पर आयोजित विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस

पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ समाजवादी विचारक योगेंद्र यादव ने देशभर में लोकतांत्रिक अधिकारों पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को किया उजागर

माधव सन्देश संवादाता

पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ समाजवादी विचारक योगेंद्र यादव ने देशभर में लोकतांत्रिक अधिकारों पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को किया उजागर
 

(SIR) प्रक्रिया को “लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला” करार दिया

“बिहार नहीं, अब पूरे देश में खतरे में लोकतंत्र ” — योगेंद्र यादव

रायबरेली में स्वराज इंडिया पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन के अवसर पर आयोजित एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ समाजवादी विचारक योगेंद्र यादव ने देशभर में लोकतांत्रिक अधिकारों पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को उजागर किया। उन्होंने बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया को “लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला” करार दिया और आगाह किया कि यह संकट सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहने वाला।

“नाम है, फिर भी मताधिकार खतरे में है” — योगेंद्र यादव

योगेंद्र यादव ने बताया कि बिहार में लाखों मतदाताओं के नाम, जो वर्षों से मतदाता सूची में हैं, केवल इस आधार पर हटाए जा रहे हैं कि उन्होंने 2003 से पहले का नागरिकता प्रमाण नहीं दिखाया। “यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और नागरिकता की निरंतरता के सिद्धांत के खिलाफ है,” उन्होंने कहा। उनकी मुख्य चिंता के बिंदु

1. नाम के बावजूद मतदाता सूची से बाहर:
बिहार में लाखों ऐसे मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जो वर्षों से वोट डालते आ रहे हैं। उन्हें अब फिर से नामांकन फॉर्म भरने को मजबूर किया जा रहा है। अगर वे यह प्रक्रिया पूरी नहीं करते, तो उनका नाम स्वतः हटा दिया जाएगा।

2. 2003 की मनमानी कट-ऑफ तारीख:
चुनाव आयोग ने यह नया नियम जोड़ा है कि 2003 से पहले नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज न होने पर मतदाता की पात्रता संदिग्ध मानी जाएगी। योगेंद्र यादव ने इसे संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध बताया — “कोई क्यों 20 साल पुराने कागज़ आज साथ लेकर चलेगा?”

3. प्रत्येक मतदाता को अनिवार्य फॉर्म:
उन्होंने बताया कि “पहली बार देश में सभी संभावित मतदाताओं को — चाहे वे पहले से रजिस्टर्ड हों या नहीं — एन्युमरेशन फॉर्म भरना अनिवार्य कर दिया गया है। वरना उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में भी नहीं दिखेगा।”

4. नागरिकता की निरंतरता के सिद्धांत की अवहेलना:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 और 11 के अनुसार, एक बार नागरिकता सिद्ध हो जाने पर उसे हर बार साबित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। परंतु इस SIR प्रक्रिया में नागरिकों से बार-बार अपने अस्तित्व और अधिकार का प्रमाण मांगा जा रहा है।

5. खतरा केवल बिहार तक सीमित नहीं:
बिहार को केवल “पायलट प्रोजेक्ट” की तरह देखा जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग पहले ही अन्य राज्यों में इसी प्रकार की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे चुका है। योगेंद्र यादव ने आगाह किया — “यदि अभी नहीं रुका गया, तो यह पूरे देश में दोबारा नागरिकता साबित करने का माध्यम बन जाएगा।”

पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में जोश और दिशा तय

इस अवसर पर योगेंद्र यादव ने कहा कि हम वैकल्पिक राजनीति पर विश्वाश करती है इसलिए पार्टी के कार्यकर्ता आगामी स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दे।

उत्तर प्रदेश पार्टी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र कुमार ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पार्टी के आगामी जनसंपर्क अभियानों, संगठन विस्तार और छात्रों-युवाओं को जोड़ने की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की।

सम्मेलन को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक कर्नल जयवीर ने संबोधित किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे भारत के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए गांव-गांव में जनजागरण करें। उन्होंने साफ कहा — “स्वराज इंडिया सिर्फ राजनीति नहीं, जन आंदोलन की भूमिका निभा रही है।”

रायबरेली में मजबूत हो रही है स्वराज इंडिया की आवाज

रायबरेली में पार्टी को मज़बूत नेतृत्व प्रदान कर रही हैं अधिवक्ता अर्चना , जो न केवल एक निडर सामाजिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और विधिक अधिकारों की सशक्त प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने सम्मेलन में बताया कि किस तरह आम नागरिकों के दस्तावेज़ीकरण और मतदाता पंजीकरण से जुड़े मुद्दों को लेकर पार्टी लगातार ज़मीनी स्तर पर संघर्ष कर रही है।
कार्यक्रम में प्रदेश के महामंत्री मोहम्मद हाशिम, किसान आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष राजनीति यादव। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य पुष्कर पाल, रामविलाश यादव, अश्वनी यादव, अंकित त्यागी, आत्मप्रकाश सिंह, नवनीत यादव, डीपी सिंह आदि मौजूद रहे।

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