ईदगाह पर नमाज और फिर कुर्बानी देने के साथ मनाया गया बकरीद का त्यौहार

    *प्रशासन ने किए थे चाकचौबंद इंतजाम     *कहीं भी नहीं दी गई खुले में कुर्बानी

 फोटो:- ईदगाह पर एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देते लोग। मौजूद जसवंत नगर के अधिकारी गण

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जसवंतनगर (इटावा)। शनिवार को इस्लाम धर्म अनुयायियों ने नेअपना दूसरा बड़ा त्योहार इदुज्जुहा  बड़ी शिद्दत, एहतराम और कुर्बानी देने के साथ मनाया। इससे पूर्व बड़ी संख्या में क्षेत्र और नगर के निवासी इस्लाम धर्म अनुयाई यहां ईदगाह पर नमाज अदा करने पहुंचे।
प्रशासनिक बंदोबस्त के बीच प्रातः ठीक  साढ़े 7 बजे हजारों लोगों ने नमाज अदा की और परवरदिगार का शुक्रिया अदा किया कि उसकी रहमत पर वह इस दुनिया में है।
यहां के ईदगाह के इमाम शमीउद्दीन फारूखी ने
नमाज की रस्म अदा कराई ।

     इसके बाद एक दूसरे को बधाई देने का का दौर शुरू हुआ, जो काफी देर तक ईद गाह के मैदान में चलता रहा ।इस अवसर पर पालिका अध्यक्ष सत्यनारायण शंखवार, क्षेत्रीय विधायक शिवपाल सिंह यादव के प्रतिनिधि ठाकुर अजेंद्र सिंह गौर, सांसद डिंपल यादव के प्रतिनिधि हाजी शमीम के अलावा समाजवादी पार्टी से जुड़े कई नेता भी शामिल थे।

     पार्टी के नगर महासचिव राशिद सिद्दीकी के अलावा पूर्व पालिका उपाध्यक्ष हाजी मोहम्मद अहसान,  हाजी शमीम ,आढ़तिया मोहम्मद नवी आदि ने वहां पहुंचे लोगों को बधाई दी और एक दूसरे से गले मिले।
ईद-उल-अजहा यानी आम बोलचाल की भाषा में बकरीद कहे जाने वाले  इस इस्लामी त्यौहार को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। इस दिन इस्लाम धर्म के लोग  कुर्बानी देते हैं. इस्लाम में सिर्फ हलाल के तरीके से कमाए हुए पैसों से ही कुर्बानी जायज मानी जाती है. कुर्बानी का गोश्त अकेले अपने परिवार के लिए नहीं रख सकता है.
ईद अल-अधा, ज़ुलहिज्जा के 10वें दिन और इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने में मनाया जाता है। इस मौके पर ईदगाह या मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है। इस पर्व पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए नए  कपड़े और उम्दा टोपियां  पहनकर नमाज पढ़ने पहुंचते हैं। यहां जसवंत नगर में भी नमाजी लोग ईदगाह पर इसी तरह पहुंचे हुए थे। बड़ी संख्या में में बच्चे भी आए थे और वह भी बाद में एक दूसरे से गले मिलते देखे गए।      

    नमाज के बाद  कुर्बानी देने की परंपरा घरों में निभाई गई । कहीं से भी किसी खुली जगह में कुर्बानी दिए जाने की खबर नहीं है । जसवंत नगर के इतिहास में कभी भी खुले में कुर्बानी देने का कोई वाक्य नहीं है। एक अनुमान के अनुसार नगर में सैकड़ा कुर्बानियां दी गई। इसके बाद कुर्बानी का  गोश्त पड़ोसियों और सधर्मियों को वितरित किया गया।

इस त्यौहार के पीछे बहुत से लोग पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) के सपने की कहानी जानते हैं। जिसमें उन्हें अल्लाह ने आदेश दिया था कि वह अपनी सबसे प्रिय चीज़ की क़ुरबानी दें । वह उनका बेटा इस्माइल था। हालाँकि यह समझना मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह पूर्ण समर्पण और विश्वास की एक परीक्षा थी।
ईदगाह पर नमाज अदा करने के दौरान जन प्रतिनिधि सत्यनारायण शंखवार , अजेंद्र सिंह गौर के  अलावा उपजिलाधिकारी जसवंत नगर  कुमार सत्यम जीत, क्षेत्राधिकारी आयुषी सिंह, थाना प्रभारी राम सहाय सिंह, कस्बा इंचार्ज राजकुमार पुलिस महकमे के साथ मौजूद रहे ।
साथ ही पालिका के अधिशासी अधिकारी श्याम वचन सरोज, कर्मचारीगण नवनीत कुमार, लाल कुमार, सकी त्रपाठी, विनय सगर आदि के अलावा सांसद प्रतिनिधि हाजी शमीम, सभासद कमल प्रकाश, मोहम्मद फारूक, मो. इरफान, मो. सादान, पूर्व सभासद शाहबुद्दीन , मजरूलाह लड्डन, अन्नू रेडियो वाले , हाजी सलीम, हाजी रशीद आदि के अलावा अतिन कुमार, मोहित यादव, गोपाल गुप्ता, सूरज शंखवार, आदि ने नमाजियों से मिलकर त्यौहार की बधाई दी।

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*वेद व्रत गुप्ता

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