ससुरालियों का पत्रकार के घर पर हमला, मारपीट; जसवंतनगर पुलिस ने पीड़ित को फंसाने की कोशिश की
ससुरालियों का पत्रकार के घर पर हमला, मारपीट; जसवंतनगर पुलिस ने पीड़ित को फंसाने की कोशिश की
इटावा: जसवंतनगर में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जहां ससुराल वालों ने एक पत्रकार के घर पर धावा बोलकर न केवल उन्हें और उनके परिवार को बुरी तरह पीटा, बल्कि स्थानीय पुलिस भी पीड़ित पत्रकार को ही फंसाने में जुट गई है। इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के इटावा जिला सचिव, स्वर्गीय महेंद्र सिंह के पुत्र सुशील कांत, जो जैनपुर नागर थाना क्षेत्र के निवासी हैं, ने इस भयावह घटना की जानकारी दी है।
पीड़ित पत्रकार सुशील कांत ने बताया कि 20 अप्रैल, 2025 को दोपहर लगभग 1:40 बजे उनके घर पर उनकी बहन पूनम और मां ज्ञानवती मौजूद थीं। वह स्वयं कमरे में सो रहे थे, तभी उनके ससुर देव सिंह, साला वीकेश, सास मीना देवी और चार अज्ञात व्यक्तियों ने उनके घर पर हमला कर दिया। आरोप है कि घर में घुसते ही इन लोगों ने गाली-गलौज शुरू कर दी और सुशील कांत की गर्दन दबाकर जान से मारने की कोशिश की। इसके बाद लात-घूसों और थप्पड़ों से उनकी बेरहमी से पिटाई की गई।
जब उनकी मां ज्ञानवती और बहन पूनम उन्हें बचाने आईं, तो हमलावरों ने उनके साथ भी मारपीट की। पूनम को बाल पकड़कर जमीन पर गिरा दिया गया और सभी ने मिलकर मां को भी बुरी तरह पीटा। आरोप यह भी है कि हमलावरों ने गंदी गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।
घटना की सूचना सुशील कांत के भाई अजय कांत ने लगभग 2:30 बजे डायल 112 पर दी, जिसके बाद पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार की जान बच सकी। सुशील कांत ने बताया कि उनके ससुराल वाले उन पर गांव की जमीन और मकान बेचकर दिल्ली के नांगलोई में रहने का दबाव बना रहे हैं, जबकि उनकी बहन अभी शादी योग्य है और वह गांव छोड़कर नहीं जाना चाहते। इसी बात को लेकर ससुराल वाले आए दिन झगड़ा करते थे और घर आकर गाली-गलौज और मारपीट करते थे।
पीड़ित पत्रकार के अनुसार, घटना से एक दिन पहले, 19 अप्रैल, 2025 को उनकी पत्नी ने भी झगड़ा किया था और मायके फोन करके अपने परिजनों और कुछ गुंडों को बुला लिया था। अगले दिन, उन्हीं लोगों ने एकजुट होकर उनके घर पर हमला बोल दिया।
इस घटना की शिकायत दर्ज कराने के लिए सुशील कांत अपनी मां और बहन के साथ 20 अप्रैल, 2025 को जसवंतनगर थाने गए। लेकिन आरोप है कि वहां के इंस्पेक्टर ने उन्हें गंदी गालियां देकर भगा दिया और धमकी दी कि उन पर इतने मुकदमे लाद दिए जाएंगे कि वह आतंकवादी बन जाएंगे।
पीड़ित पत्रकार ने इस मामले में उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखकर शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सुशील कांत का कहना है कि उनके ससुराल वाले गांव की जमीन-मकान बेचकर दिल्ली में रहने का दबाव बना रहे हैं, जो कि उनके लिए संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार उनकी मां और बहन को भी बुरी तरह पीटा गया और उनके शरीर पर चोटों के निशान थे। उन्होंने थानाध्यक्ष को चोटें भी दिखाईं, लेकिन उनका डॉक्टरी मुआयना नहीं कराया गया।
इस मामले में जब प्रभारी निरीक्षक थाना जसवंतनगर रामसहाय से बात की गई, तो उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से कहा कि वे सुशील कांत नामक किसी पत्रकार को नहीं जानते और उनके संज्ञान में ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
पीड़ित पत्रकार ने मुख्यमंत्री, डीजीपी यूपी पुलिस, एडीजी और आईजी कानपुर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इस घटना की शिकायत की, जिसे 25 ट्विटर अकाउंट से रीट्वीट भी किया गया, लेकिन किसी भी अधिकारी ने अभी तक इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया है और न ही किसी जांच या कार्रवाई का आदेश दिया है। उच्च अधिकारियों की इस चुप्पी ने पीड़ित पत्रकार और उनके परिवार को और भी निराश कर दिया है। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। एक पत्रकार के साथ इस तरह का व्यवहार और पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज न करना और धमकाना, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है।