फोटो :पालकी यात्रा निकाली जाती,मंदिर जी में आरती करती महिलाएं
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जसवंतनगर(इटावा)। पौष कृष्ण एकादशी यानि गुरुवार को पार्श्वनाथ भगवान का जन्म ,तप व चंद्र प्रभु भगवान का जन्म तप कल्याणक दिवस था। इसको महोत्सव के रूप में लुधपुरा जैन समाज ने बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया ।
लधुपुरा महावीर दिगंबर जैन मंदिर से भगवान चंद्र प्रभु की भव्य और स्वर्णिम पालकी निकाली गई, जो लधुपुरा मंदिर से रेलमंडी तक घूमी और लघुपुरा जैन मंदिर में आकर सम्पन्न हुई। यात्रा के दौरान जगह जगह आरती और पुष्पवर्षा की गई।
शाम को मंदिर जी में भगवान की आरती के लिए सकल जैन समाज एकत्रित हुआ और सभी ने भगवान की आरती की। भगवान को दैवीय गीतों और मंत्रोच्चार के साथ पालना भी सभी ने झुलाया।कार्यक्रम दौरान बराबर मंदिर परिसर जय ज़य कार से गूंजता रहा है।
इस अवसर पर समस्त दिगंबर जैन समाज के लोग उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से जैन समाज लुधपुरा के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार जैन, जैन स्वीट्स के मालिक प्रवीण कुमार जैन उर्फ पिंटू जैन, वीरेंद्र जैन उर्फ वीरु,सत्य प्रकाश जैन, बल्ले जैन, अक्षत जैन, राजीव जैन, सुरेंद्र जैन, महावीर स्वीट्स मालिक निक्का जैन, विजय कुमार जैन आदि लोग मौजूद रहे।
साथ में जय जय कार लगाती हुई महिलाएं भी शामिल थी, जिनमें मुख्य रूप से श्रीमती अंजली जैन, शीतल जैन, सीमा जैन, बिंदु जैन, रूबी जैन, अनुराधा जैन ,भावना जैन रेलमंडीआदि शामिल थी।
लुधपुरा जैन समाज की विद्वत जैन नेत्री अंजली जैन ने बताया है कि चंद्र प्रभु भगवान 8वे तीर्थंकर थे।जैन परंपरा के मुताबिक, उनका जन्म वाराणसी के चंद्रपुरी में पौष कृष्ण पक्ष की द्वादशी को हुआ था। उनके पिता का नाम राजा महासेन और माता का नाम सुलक्षना था।जन्म के समय चंद्रमा की तरह रंग होने की वजह से उनका नाम चंद्रप्रभु रखा गया था।गर्भ के समय से ही उन्हें ‘मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान और अवधी ज्ञान’ जैसे तीन तरह के आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति थी।
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*वेद व्रत गुप्ता