पछाँयगांव के बेला आश्रम पर महर्षि बाल्मीकि के दर्शनो को पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु 

   फोटो ::- महर्षि वाल्मीकि आश्रम बेला  में बाल्मीकि जयंती पर पूजा अर्चना करते लोग।
_____
सैफई /जसवंत नगर( इटावा)17 अक्टूबर। इटावा की धरती प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है। तमाम प्राचीन मंदिर, किले, ऐतिहासिक स्थल यहां मौजूद और गवाह है। महृषि बाल्मीकि का एक आश्रम भी इटावा में है।
      किवदंती है कि आदिकवि और रामायण रचयिता भगवान बाल्मीक ने अपना शरीर यही पर छोड़ा था। आज तक वाल्मीकि के निधन व समाधि का कहीं जिक्र न होने के कारण, यह किवदंती बलबती हो जाती है और इसी वजह समाधि पर कई दशकों से लोग पूजा अर्चना करते चले आ रहे है।

इटावा जिले के पछाँयगांव क्षेत्र के अंतर्गत बेला गांव में बीहड़ में यमुना नदी के किनारे स्थित बाल्मिक ऋषि के आश्रम पर आज कई जनपदों से आए लोगों ने दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। यह यमुना  के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित एक प्राचीन समाधि है,                 आसपास के ग्रामीणों को बाल्मीकि ऋषि द्वारा स्वप्न दिया गया था कि मेरी समाधि यमुना के किनारे है, स्वप्न को सच मानकर स्थानीय लोगों द्वारा समाधि की खोज की गई। उसके बाद पूजा अर्चना शुरू की गई। जो आज भी लगातार जारी है। समाधि पर पूजा करने से कई भक्तों की मनोकामना पूरी हुई है।

     यहां भक्तों ने मंदिर  व चबूतरे का निर्माण व समाधि का जीर्णोद्धार कराया है।  फौज से रिटायर होकर अपने घर आये एक फौजी ने भी अपनी रिटायरमेंट का पैसा मंदिर में लगाकर वहीं समाधि पर रहकर भजन साधना में लीन रहते हैं बताते हैं उन्हें भी बाल्मीकि  ऋषि ने स्वप्न में आकर अपनी सेवा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद वह लगातर आश्रम में रहकर साधना करते है।
    बताया तो यहां तक जाता है कि  लव कुश का जन्म इसी आश्रम में हुआ था। बिठूर के बाद बाल्मीकि ऋषि यही आकर रहे थे। यही पर अपना शरीर छोड़ा था।  इतिहास में किसी भी जगह बाल्मीकि के निधन व समाधि का जिक्र नही है। इसलिए यह किवदंती और बलबती हो जाती है कि यह समाधि वाकई में बाल्मीकि ऋषि की समाधि है। इसी वजह से हजारों भक्तों की मनोकामना पूरी होती है और लोगों का यहां लगातार आवागमन बना रहता है। वर्तमान में समाधि पर रमेश पुजारी व फौजी बाबा रहकर सेवा कर रहे है।
_____
   *सुघर सिंह पत्रकार, सैफई

Related Articles

Back to top button