नाभि में वाण लगते ही धराशायी हुआ, “लंकाधिपति लंकेश”

 फोटो :-राम और लक्ष्मण रावण से युद्ध करते, लाल सिद्धार्थ प्रसाद  रहीस गोदाम पर स्वागत करते, रावण की आरती उतारी जाती
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       जसवन्तनगर(इटावा)।विश्व पटल पर चर्चित यहां की रामलीला में रावण बध रविवार को हुआ तथा राम रावण की सेनाओं के मध्य साढ़े आठ घंटे तक युद्ध चला।

बाल्मिक रामायण में वर्णित है कि भगवान राम ने पंचक महूर्त लगने के दौरान रावण वध किया था।इसलिए हमेशा से ही पंचक लगने के साथ यहां रावण बध होता आया है। हालांकि देश भर में शनिवार को ही दशहरा मना लिया गया था।

यहां इस बार भी दशहरा को पंचक लगने के बाद ही  रावण का  वध  करके उसकाआतंक और उसके लंका पर आधिपत्य  का अंत भगवान राम द्वारा किया गया। शनिवार को रावण, मेघनाथ दुर्मुख आदि के साथ युद्ध को निकाल  जरूर था। मेघनाथ अतिकाय  दुर्मुख मारे गए थे।

आज रामलीला मैदान से दोपहर 1 बजे ही रावण अपनी बचीखुची सेना के साथ बड़ा चौराहा, पड़ाव मंडी, छोटा चौराहा होते  कैला देवी मंदिर पहुंचा। वहां देवी पूजन दशानन रावण ने किया। उसके बाद लोहामंडी, जैन मंदिर, आदि स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। चक समाज द्वारा परंपरागत रूप से दिगंबर जैन मंदिर के सामने रावण की आरती उतारी गई।

जैन मोहल्ला में कैंडा क्लब ने विशाल पीतल की परात में खड़पुरी(बड़े बतासे) रखकर लंकापति रावण की लंकेश की जय जय कार के मध्य आरती की गई।

इस अवसर पर रामलीला प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, व्यवस्थापक अजेंद्र सिंह गौर, ऋषि मिश्रा, डॉ पंकज सिंह, तरुण मिश्रा, अनुज जैन,  अंकुर जैन, तन्मय जैन समेत बड़ी संख्या में लोग  सम्मिलित हुए।

     रावण अपनी बचीखुची सेना के साथ कटरापुख्ता चौक पहुंचा , जहां राम-लक्ष्मण को नृसिंह मंदिर पर  युद्ध के लिए ललकारता है। चौक में  काफी देर तक भीषण युद्ध चलता है।
    उसके बाद रावण युद्ध करता हुआ बड़ी हवेली, महलई टोला, बड़ा चौराहा, कोतवाली होते हुए रामलीला मैदान पहुंचा।  लालजी साहब की हवेली पर रामलीला समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ प्रसाद ने  सपरिवार राम रावण के बीच का संग्राम देखा। राजीव गुप्ता बबलू और अजेंद्र सिंह गौर ने उनका स्वागत किया।
       बाद में युद्धक डोलों के मैदान पहुंचने पर रावण नारायंतक को युद्ध के लिए भेजता है। युद्ध कौशल में निपुण नारायंतक विविध प्रकार के अमोघ अस्त्रों का प्रयोग करता है, लेकिन सुग्रीव पुत्र दधिबल के हाथों नरान्तक मारा जाता है। फिर रावण पातालपुरी से अपने अतिप्रिय अहिरावण को बुलाता है और उसे पूरी घटना बताता है अहिरावण क्रोधित होकर राम से युद्ध करने पहुंच जाता है और 1 घण्टे से भी अधिक चले भीषण संग्राम में अहिरावण बजरंगी के हाथों मारा जाता है।
               अहिरावण वध के उपरांत लंकाधिराज महापराक्रमी दशानन लंकेश स्वयं राम से युद्ध करने मैदान में आ जाता है। यहां पर लगभग 4 घण्टे तक चले महासंग्राम के बाद भी जब राम के हाथों रावण पराजित नहीं होता, तब विभीषण राम को बताते हैं कि रावण की नाभि में अमृत है ,जब तक रावण की नाभि से अमृत नहीं निकलेगा, तब तक रावण को परास्त करना असंभव है।   रात्रि 9:18 बजे पंचक मुहूर्त में जब रावण  अपनी नाभि को निशाना बनता देखता है, तो रावण का अंतिम किरदार निभा रहे विमान पर जमकर आतंक मचाने लगते हैं।  अंतिम प्राणरक्षक वाण निकाल लेते हैं, लेकिन राम के तीखे वाणों के प्रहार के आगे रावण ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता और नाभि में वाण लगते ही धरती पर गिर पड़ता है। इसी के साथ रामलीला मैदान में जुटी हजारों की भीड़ जय श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जय कर के नरे  गूंजते आरंभ कर देती है।
        इसके बाद राम के हाथों रावण का पुतला गिराया जाता है। यहां की रामलीला में रावण का पुतला जलाया नहीं जाता। पुतला गिरते ही सैंकड़ों लोग उस पर टूट पड़ते हैं और कुछ ही देर में रावण के पुतले को तहसनहस करके उसकी अस्थियों को अपने साथ ले जाते हैं। मान्यता है कि जिस घर में रावण की अस्थियां होंगी वहां कोई भी भूत-प्रेतबाधा, टोना-टोटका काम नहीं करता। व्यापारी अपने व्यापार की उन्नति के लिए, तो वही जुआरी जुए को जीतने के लिए अपने साथ रावण की अस्थि रूपी बांस की लकड़ी साथ ले जाते हैं।
    रामलीला समिति के पदाधिकारी  राजीव गुप्ता बबलू और ठाकुर अजेंद्र सिंह ने रावण मर्दन के  बाद माइक से अनाउंस करके महिला वार्ड की महिलाओं को तब तक रामलीला मैदान में रोके रखा, जब तक मैदान की भीड़ छट नहीं गई ।इस वजह से महिलाओं के साथ कोई भी अप्रिय घटना दशहरा के दिन नहीं घट सकी।
      बाद में राम की आज्ञा पाकर हनुमानजी लंका जाकर सीता को ले आते हैं और फिर सीता की अग्निपरीक्षा के उपरांत राम-लक्ष्मण सीता सहित अयोध्या वापसी की तैयारी करते हैं। विभीषण को राम लंका का राज्य सौंप देते हैं लेकिन विभीषण राम के साथ रहने की बात कहते हैं।
    लीला समापन के बाद भगवान राम लक्ष्मण सीता और सभी वानर दल के सदस्य नगर के रामलीला रोड पर स्थित रामेश्वरम मंदिर में भगवान शंकर के दर्शन करने जाते हैं और इसी के साथ आज की लीला संपन्न होती है।
     सोमवार को राम की लीलाये तालाब मंदिर पर होगी, जिसमें भरत मिलाप के उपरांत आतिशबाजी होगी। उसके बाद  भगवान राम का नगर भ्रमण होगा।
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 भगवान शंकर की बारात आज निकलेगी
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     नगर में सोमवार(यानी आज) को शाम 7 बजे से परंपरागत रूप से भोले भंडारी भगवान शंकर की बारात निकाली जाएगी।
इस  बात की जानकारी शंकर बारात समिति के अध्यक्ष वेद व्रत गुप्ता, सचिव भोले झा,  कोषाध्यक्ष मनोज गुप्ता खाद वाले ने देते हुए बताया है  कि शंकर बरात
 लुधपुरा तिराहा से उठकर पूरे नगर में भ्रमण करेगी। बारात में दो दर्जन से ज्यादा झांकियां रहेगी। लोगों से बड़ी संख्या मैं बारात मे शामिल होने की अपील की गई है।
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*वेदव्रत गुप्ता
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