यज्ञ विध्वंस कर लक्ष्मण ने “मेघनाद” का सिर काट डाला
*सुलोचना के बोलने पर ठहाके मारकर हंसा मेघनाद *दुरमुख की भी मौत
Madhav SandeshOctober 12, 2024
फोटो:- राम लक्ष्मण से युद्ध करता इंद्रजीत मेघनाथ, रावण द्वारा राम जी के डोले पर चढ़कर आतंक मचाया जाता, सूर्पनखा मेघनाथ के सथतथा कटरा पुख्ता में रावण की आरती उतारी जाती
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जसवंतनगर(इटावा)। शनिवार को देश भर में दशहरा था, मगर अपनी परंपरा का निर्वहन करते यहां के रामलीला महोत्सव में रावण का वध नहीं हुआ क्योंकि पंचक मुहूर्त नहीं था।
कल दुर्मुख, कुंभकर्ण, अतिकाय वध के बाद बौखलाया रावण अपने पुत्र इंद्रजीत मेघनाद के साथ अपनी विशाल राक्षसी सेना लेकर नगर के सड़कों पर रामादल से युद्ध करने निकला और जमकर आतंक मचाया।
राक्षसी दल के साथ कटरा पुख्ता से रामलीला मैदान तक 3 घण्टे से अधिक रावण – मेघनाद ने रामा दल से जबरदस्त संग्राम किया।
लीला मैदान में रावण पुत्र , दुर्मुख सबसे पहले मैदान में उतरता है और जब वह मारा जाता है तो स्वयं मेघनाद और लक्ष्मण का युद्ध शुरू होता है।
मायावी मेघनाद गायब होकर लक्ष्मण पर नागपाश अस्त्र का प्रहार करता है, ब्रह्माजी के अस्त्र का सम्मान करते हुए लक्ष्मण उस अस्त्र को स्वीकार करते हैं।नागफांस में बंध जाते हैं, जिसे गरुण देव काटकर लक्ष्मण को बन्धन मुक्त कर देते हैं।
बन्धनमुक्त होने के बाद लक्ष्मण और राम को रावण का भाई विभीषण बनाते हैं कि आप बिना देर किए पहाड़ों में स्थित देवी निकुंबला के मंदिर जाइये। वहां पर मेघनाद तांत्रिक यज्ञ कर रहा है ,यदि उसका वह यज्ञ सम्पन्न हो गया ,तो फिर मेघनाद को एक दिव्य रथ और ब्रह्मश्री नामक अस्त्र प्राप्त होगा। यदि मेघनाद उस रथ पर सवार हो जाएगा, तो उसे कोई भी पराजित नहीं कर सकेगा और ब्रह्मश्री अस्त्र के प्रभाव से हम सबकी मृत्य निश्चित है।
राम कहते हैं कि लक्ष्मण एक बात का विशेष ध्यान रखना कि मेघनाद का मस्तक किसी भी तरह भूमि पर नहीं गिरना चाहिए, क्योंकि मेघनाद एक नारिव्रत का पालक और उसकी पत्नी परम पतिव्रता है।ऐसी पतिव्रता के पति का मस्तक भूमि पर गिर गया ,तो हमारी सेना का नाश निश्चित होगा।
अपने भाई राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण वानरों सहित पहाड़ों के बीच स्थित देवी निकुंबला पहुंच कर मेघनाद के यज्ञ को बीच में ही तहस नहस कर देते हैं ।मेघनाद को ब्रह्मा जी के वरदान का स्मरण हो आता है कि तुम्हारी मृत्यु उसी के हाथों होगी, जो तुम्हारे यज्ञ को बीच में ही विध्वंस कर देगा। लेकिन फिर भी मेघनाद एक वीर योद्धा की भांति लक्ष्मण से पूरी शक्ति के साथ युद्ध करता है।
रामलीला मैदान में रथ पर सवार मेघनाद और लक्ष्मण का भीषण युद्ध देखकर दर्शकों की आंखें दंग रह जातीं हैं। मेघनाद विभिन्न प्रकार की चमकीली लाइट, बारूद, इटैक्ट्रिक पट्टी आदि अस्त्र शस्त्रों सहित युद्ध करता है, अंत में लक्ष्मण मेघनाद का शीश काटकर राम के चरणों में रख देते हैं।
मेघनाद की कटी भुजा सुलोचना के सम्मुख जाकर रक्त से लिख देती है कि मेरा अंत हो चुका है और मेरा शीश राम के चरणों में है। तो मेघनाद की पत्नी सुलोचना दौड़ी-दौड़ी राम लक्ष्मण के पास पहुंचकर शीश मांगती है। तब सुग्रीव सुलोचना से पूछते हैं तो सुलोचना मेघनाद की कटी भुजा द्वारा लिखकर मृत्यु की सूचना बताती है तो व्यंगवश सुग्रीव कहते हैं कि जब कटी भुजा लिख सकती है तो कटा शीश भी बोल सकता है.? यह सुनकर सुलोचना कहती है कि यदि मैं मन,वचन,कर्म से पति को देवता मानती हूं तो मेरे पति का ये मस्तक हंस उठे। सुलोचना की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि मेघनाद का कटा हुआ शीश जोर-जोर से हंसने लगा यह देखकर सभी दंग रह गए ।
बीसभी ने देवी सुलोचना को प्रणाम किया। जाते जाते सुलोचना राम से प्रार्थना करती है कि आज मेरे पति की अंत्येष्टि है। अतः आज युद्ध विराम रहे। श्रीराम ने सुलोचना की प्रार्थना स्वीकार की और आज की मैदानी रामलीला का यही युद्ध विराम हो गया।
शनिवार को रास्ते की लड़ाई में रावण की भूमिका जोरदार युद्ध कलाओं के साथ “अंकित पाठक” द्वारा निभाई गई। अंकित पाठक धीरज पाठक का चचेरा भाई है । उल्लेखनीय है कि धीरज पाठक और उनके पिता रावण के पात्र के रूप में जसवंत नगर और आसपास के जिलों में विख्यात हैं । उन्हीं के कदमों पर चलने का अंकित पाठक पुत्र बालकृष्ण पाठक प्रयास कर रहा है।
स्वयं प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, उप प्रबंधक, विधायक प्रतिनिधि ठाकुर अजेंद्र सिंह गौर,अनिल कुमार अन्नू, आलौकिक गौर, रामनरेश यादव पप्पू, विशाल गुप्ता राजन,राजीव गुप्ता माथुर,विवेक रतन पांडे, निखिल गुप्ता आदि रास्ते से लेकर मैदान तक लीलाओं की व्यवस्था संभालते देखे गए।
रास्ते की लड़ाई में मेघनाद हरिओम दूध वाले का पुत्र मनी गुप्ता बने थे। मैदान में कई और युवाओं ने लीला में मेघनाद का रोल अदा किया जिनमे प्रभाकर दुबे , टीटू दुबे, विशाल गुप्ता राजन आदि शामिल थे।
सूपर्णखा की भूमिका संजू मसाले वालों ने निरंतर करते हुए पूरे नगर में अपनी कला का डंका बजाया। अंकुर गुप्ता ने भी अपनी लीला से सब को आकर्षित किया।
सम्पूर्ण भारत में रावण वध दशहरा को हुआ, लेकिन जसवन्त नगर में रावण वध हमेशा से पंचक मुहूर्त में ही होता आया है इस बार दशहरा के दिन पंचक न लगने के कारण रावण वध अब रविवार 13 अक्टूबर को होगा।
रविवार को नगर में भीषण रास्ते की लड़ाई के प्रदर्शन के अलावा, नारायणतक, अहिरावण वध, रावण वध, रावण पुतला विध्वंस के साथ मैदानी रामलीला पूर्णतः सम्पन्न होगी।
___वेदव्रत गुप्ता
Madhav SandeshOctober 12, 2024