जसवंतनगर की रामलीला में हनुमान ने रावण की सोने की लंका फूंक डाली
*बालि का सुग्रीव ने राम की सहायता से किया बध *रावण हनुमान में जबरदस्त संवाद * रावण पुत्र अक्षय कुमार का हुआ वध
- फोटो :- बालि और सग्रीव में युद्ध चलता हुआ अक्षय कुमार का वध करते हनुमान ,सीता की खोज के दौरान सीता से भेंट करते हनुमान अक्षय कुमार से युद्ध करता और धू धू कर जलती लंका
लंका दरबार में रावण हनुमान के मध्य जबरदस्त संवाद के उपरांत जब पवन पुत्र हनुमान ने रावण की स्वर्ण लंका को धू धू कर जलाया, तो हर कोई रोमांचित हो गया। लीलाओं के इन प्रदर्शन को भारी संख्या में महिला और पुरुष वार्डों में खड़े दर्शकों ने खूब सराहा। लंका दहन की लीला के लिए रामलीला समिति ने जबरदस्त आतिशबाजी का इंतजाम किया था। पूरा नगर आतिशबाजी के धमाकों से गूंजता रहा। रामलीला समिति के प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू तथा विधायक प्रतिनिधि व संयोजक अजेंद्र सिंह गौर ने बताया है कि रावण-हनुमान के मध्य संवाद के लिए कानपुर से पात्र बुलाये गए थे।इसके अलावा लंकेश रावण के दरबार में नृत्यांगनाओं के मनमोहक नृत्य को देखने की ललक युवाओं में खूब दिखी। आस्था चैनल के सौरभ भदौरिया अपने भजनों से रामलीला मैदान में धर्म की गंगा बहा रहे थे।
लीलाओं की शुरूआत सुग्रीव से मित्रता होने पर जब राम को पता चलता है कि सुग्रीव के भाई बालि को वरदान प्राप्त है कि सुग्रीव से सामने से युद्ध करने वाले का आधा बल बालि में चला जाएगा। यह भी राम को ज्ञात हुआ कि बालि ने सुग्रीव की पत्नी तारा को बंधक बना रखा है, तो सुग्रीव को राम ने कहा कि तुम अपने भाई बालि को युद्ध के लिए ललकारो ,मैं छिपकर बालि को परास्त कर दूंगा।
जब सुग्रीव बालि से युद्ध करता है तो सुग्रीव मार खाकर वापस आ जाता तो राम से कहता है कि जब आपको कुछ करना ही नहीं था तो मुझे बालि से मार खाने क्यों भेज दिया था ? इस पर राम बताते हैं कि तुम दोनों भाइयों की एक जैसे शक्ल होने के कारण मैं भ्रमित हो गया। वाण नहीं चला सका।
राम सुग्रीव के गले मे अपनी माला डालकर वापस भेज देते हैं, जब बालि फिर से सुग्रीव को देखता है, तो आगबबूला हो उठता है और दोनों में एक बार फिर से घमासान युद्ध होने लगता है। मौका पाकर राम बालि को वाण मार देते हैं तब घायल बालि राम से पूछता है कि मैंने क्या गलती की थी जो आपने मुझे वाण मारा है..? एक बार मुझे बताया होता कि सीता को रावण उठा ले गया है, तो मैं आज सूर्यास्त से पहले सीता को आपके सम्मुख लेकर खड़ा कर देता रावण को तो मैंने 6 माह तक अपनी कांख में दबा कर रखा था।
बालि वध के बाद हनुमान सीता की खोज के लिए लंका भेजे जाते हैं । वह समुद्र को वायुवेग से पार करते,रास्ते में लंकिनी,सुरसा , तपस्विनी आदि को तारते लंका पहुंचते हैं, सीता के अशोक वाटिका में होने की बात उन्हे विभीषण से पता पड़ती है।