लांस नायक राम बहोर सिंह, शौर्य चक्र (मरणोपरांत)

वीरगति दिवस पर विशेष

पंजाब समस्या की शुरुआत 1970 के दशक से अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों को लेकर शुरु हुई थी। पंजाब में अलग राज्य की मांग की समस्या ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद अपने चरम पर पहुँच गया था। राष्ट्र विरोधी सोच रखने वाले कुछ लोगों ने स्वर्ण मंदिर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था। सरकार ने स्वर्ण मंदिर को इन राष्ट्र विरोधी सोच वालों से मुक्त कराने के लिए एक सैन्य अभियान शुरू किया जिसे “आपरेशन ब्लू स्टार” नाम दिया गया।

15 कुमाऊं रेजिमेंट की अल्फ़ा कम्पनी को 05 जून 1984 को उन्हें स्वर्ण मंदिर में छुपे आतंकवादियों से परिसर को खाली कराने का आदेश मिला। आतंकवादियों ने परिसर को अभेद्य किले में परिवर्तित कर रखा था। इससे पहले रात में परिसर को खाली कराने के दौरान बहुत ज्यादा लोग घायल हो गये थे। 05/06 जून की रात प्रातः साढ़े चार बजे 15 कुमाऊं की अल्फ़ा कम्पनी ने आगे बढ़ना शुरू किया। आतंकवादियों ने उनके ऊपर स्वचालित हथियारों से फायर करना शुरू कर दिया। इस हमले में अग्रिम प्लाटून के जूनियर कमीशन अफसर समेत आठ लोग वीरगति को प्राप्त हो गये। जूनियर कमीशन अफसर के वीरगति प्राप्त होते ही अग्रिम प्लाटून का नेतृत्व और नियन्त्रण समाप्त हो गया।

15 कुमाऊं रेजिमेंट की अल्फ़ा कम्पनी को भारी नुकसान हुआ और कंपनी का आगे बढ़ना रूक गया। अल्फ़ा कम्पनी के कंपनी कमांडर मेजर भूकांत मिश्रा अपनी कंपनी का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़े और अपने सैनिकों को अनुसरण करने के लिए कहा तथा लक्षित परिसर के ऊपर हमला बोल दिया। मेजर भूकांत मिश्रा के इस साहसिक कदम से सैनिकों में जोश भर गया और वे दुगुने जोश से आतंकवादियों पर टूट पड़े। मीडियम मशीन गन नंबर 2, लांस नायक राम बहोर सिंह ने अचानक एक छेद से लाइट मशीन गन की बैरल को बाहर आते देखा । उन्होंने मेजर मिश्रा के ऊपर आसन्न खतरे को भांप लिया और अपनी जान की परवाह न करते हुए तुरंत उस मशीन गन पर कार्यवाही करने के लिए मेजर मिश्रा के सामने पहुँच गए लेकिन तब तक अंदर उपस्थित आतंकवादी ने उनके ऊपर भीषण फायरिंग कर दिया । मशीन गन का फायर सीधे लांस नायक राम बहोर सिंह के माथे पर लगा और वह वीरगति को प्राप्त हो गए ।

इस पूरी कार्यवाही के दौरान लांसनायक राम बहोर सिंह ने अतुलनीय साहस और वीरता का परिचय दिया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया । प्रदर्शित वीरता के लिए लांसनायक राम बहोर सिंह को मरणोपरांत शांति काल के तीसरे सबसे बड़े सम्मान शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

लांस नायक राम बहोर सिंह का जन्म 15 जनवरी 1956 को जनपद रायबरेली के गाँव बीजेमऊ खपुरा में श्रीमती यशोदा सिंह और श्री शेर बहादुर सिंह के यहाँ हुआ था । इनकी प्राथमिक शिक्षा इनके गाँव के प्राइमरी स्कूल और उच्च शिक्षा जवाहर राजकीय इंटर कालेज सेमरी में हुई । वह 13 सितम्बर 1956 को भारतीय सेना की कुमायूं रेजिमेंट में भर्ती हुए और प्रशिक्षण के पश्चात 15 कुमायूं रेजिमेंट में पदस्थ हुए । इनका विवाह 08 जून 1977 को श्रीमती राज दुलारी सिंह से हुआ । इनके पुत्र सूरज सिंह वर्तमान समय में भारतीय डाक विभाग, रायबरेली में कार्यरत हैं ।

लांस नायक राम बहोर सिंह की वीरता और बलिदान को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए जिला सैनिक कल्याण कार्यालय रायबरेली के प्रांगण में स्थित शहीद स्मारक पर लांस नायक राम बहोर सिंह, शौर्य चक्र का नाम अंकित किया गया है ।

हमारे देश में जब कोई सैनिक वीरगति को प्राप्त होता है तो माननीय लोग और प्रशासनिक अधिकारी खूब बड़े बड़े वादे करते हैं । हमेशा साथ खड़े रहने कि दुहाई देते हैं । तब इनको देखकर ऐसा लगता है कि दुनिया में इनसे बड़ा इस परिवार का और कोई हितैषी नहीं है, लेकिन चिता की आग ठंढी होते ही यह लोग उस परिवार को भूल जाते हैं जिसने अपने कलेजे के टुकड़े को खो दिया । यही हाल रायबरेली के इस वीर सपूत के परिवार का है । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शौर्य चक्र विजेताओं को दी जाने वाली एकमुश्त और वार्षिकी राशि आज तक वीरांगना श्रीमती राज दुलारी सिंह को नहीं मिल पाई है । इनके परिवार का कहना है कि यदि इनके गाँव को जाने वाली सड़क का नामकरण लांसनायक राम बहोर सिंह, शौर्य चक्र के नाम पर कर दिया जाए तो इनका परिवार स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेगा और गाँव के युवा देश की रक्षा के प्रति उन्मुख होंगे ।
– हरी राम यादव 70878150 74

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