गर्मी के आतप से अकुलाए
गर्मी के आतप से अकुलाए
सूरज बरसाये आग गगन से,
कोई कुछ भी समझ न पाए।
हरी धरती का हर जीव जन्तु,
गर्मी के आतप से अकुलाए ।
मानव कोसे पी पीकर पानी,
सब दोष भगवान का बताए।
काट पेड़ को घर बनवाया,
ताल तलैया सब दिया पाट।
बाग बगीचा का कर उजाड़,
सिक्स लेन बना दिया बाट ।
सोचा मानव अपने मन में,
क्या गजब का बना ठाट।
चार कदम न पैदल चलता,
चलता लेकर अकेला कार ।
जलता ईंधन बढ़ता प्रदूषण,
ओजोन परत हो रही तार तार।
स्तर अभी तो बावन पहुंचा,
आगे पहुंचेगी साठ के पार ।
छोड़ कार पकड़ साइकिल,
बस का कर तुम उपयोग।
जितने प्राणी हैं हर घर में,
उतने पेड़ का सब करो योग।
धरती पर छायेगी जब हरियाली,
तब हट जायेगा आतप योग।।
– हरी राम यादव
7087815074