भीषण गर्मी से जनजीवन बेहाल, बिजली कटौती ने लोगों को रुलाया

     *दोपहर होते ही सर्वत्र सन्नाटे      *पशु पक्षी भी हुए बेहाल

 

 फोटो :- गर्मी से पानी को तलाशते  हुए
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जसवंतनगर (इटावा) गर्मी का मौसम अपने पूरे शबाब पर है। कई वर्षों के बाद मई के महीने में ही टेंप्रेचर ने 44 और 45  डिग्री का टांका छूकर लोगों को चिलचिलाती गर्मी से बेहाल करने को मजबूर किया है।
     

लोक सभा चुनाव के वोट जब तक जवांतनगर क्षेत्र में नहीं पड़े थे, तब तक बिजली 24 घंटे नगर को मिल रही थी। गांवों में भी लगातार चल रही थी,  मगर 7 मई के बाद से बिजली विभाग भी गर्मी बढ़ने के साथ ही बेरहम हो गया है। नगर  में 24 घंटे में 8 से लेकर 9 घंटा तक बिजली गायब रह रही है। गांवों में तो बहुत ही बुरा हाल है।

     कई गांवों से खबर है कि 24  घंटे में बमुश्किल 8 से 10 घंटे ही आपूर्ति मिल रही है।
         इस बार की गर्मी की विशेष बात यह है कि मार्च महीने  में गर्मी शुरू होने के बाद अप्रैल के महीने में दो चार बार आंधी आ जाती  थी या छींटे  पड़ जाते थे, मगर अब  मई महीने का आखिरी सप्ताह लग गया है, आंधी, पानी के इस बार दर्शन ही नही हुए है। अप्रैल के महीने में  अंधड़ भी चलता था, मगर इस बार ऐसा भी नहीं हुआ है  इस वजह से बहुत कम स्थानो पर अग्निकांड   हुए, वरना गेहूं की कटाई के दौरान तेज हवाओं और अंधड़ से  अग्निकांड की अनेक घटनाएं होती थी।इस बार अप्रैल में ऐसी घटनाएं  बहुत ही कम घटित हुईं। 
       गर्मी के मौसम का यह  हाल हैं कि सवेरे के 9  बजते ही सूर्य देवता अपने  रौद्र रूप में आ जाते हैं।  दोपहर में हाल यह होता है कि सड़कों पर सन्नाटे छा जाते हैं। हालांकि  लू- लपट उतनी नहीं चल रही है, जितनी कि मई के महीने में चलती थी, मगर सूखी और हाई टेंपरेचर की गर्मी लोगों पर भारी पड़ रही है।
      गर्मी के दिनों में भले ही टेंपरेचर 40 डिग्री से ऊपर चले और हवा का बहाव पछुआ हो, तो लोगों को राहत मिली रहती है ,मगर इस बार हाई टेंपरेचर के  साथ-साथ पुरवइया हवा ज्यादा चल रही है, इससे लोगों को गर्मी का एहसास कुछ ज्यादा ही हो रहा है।
      हालांकि नगर पालिका जसवंत नगर पेयजल आपूर्ति को मेंटेन किए हैं, मगर  रात्रि कालीन अघोषित विद्युत कटौती से नगर की पेय जल जल टंकियां पूरी नहीं भर पा रही है। इस वजह से जलापूर्ति लोगों  की  जरूरत अनुसार नहीं हो रही है। बहुत से इलाकों में जहां पानी का प्रेशर कम आता है, वहां लोग मोटर पंप या टुल्लू पम्प  चला कर अपने घरों में पानी भर लेते हैं, मगर जलापूर्ति के समय सुबह 5 बजे से लेकर 7 बजे तक प्रायः बिजली काट दिए जाने के कारण लोग अपनी जरूरत अनुसार पेयजल आपूर्ति प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। 
     विकराल गर्मी का असर ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पालतू जानवरों पर पड़ रहा है, क्योंकि ताल तलैयों में पानी सूख जाने के कारण उनके लिए पेयजल की कमी हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति  कम आने से भी पेयजल का संकट ग्रामीणों के समक्ष है। वह खुद के खर्चे का पेयजल नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, तो जानवरों को कहां से पानी पिलाऐं?
      विद्युत विभाग के एक सूत्र के अनुसार जसवंतनगर नगर और ग्रामीण क्षेत्रों को शेड्यूल अनुसार ऊपर से विद्युत आपूर्ति हो रही है, मगर ओवरलोडिंग के चलते लाइनों और ट्रांसफार्मर पर फाल्ट आने से विद्युत आपूर्ति में बाधा आ रही है कोई कटौती विद्युत विभाग की तरफ से नहीं है, मगर ए सी, कूलर तथा पंखे लोगों द्वारा बिना लोड बढ़वाये चलाये जाने से विद्युत लाइनों पर अधिभार बढ़ रहा है। इस वजह से लाइने फाल्ट हो रही है। उन्होंने बताया कि हमारी कोशिश रहती है की फॉल्ट में आई लाइनों को ठीक जल्द से जल्द कराया जाए, मगर  स्थिति इतनी खराब है कि लोग अवैध कनेक्शन के जरिए विद्युत विभाग की व्यवस्थाओं को  छिन्न भिन्न किए है।
        भीषण गर्मी का असर पशु पक्षियों पर भी बेहद पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में इन दिनों  आप जब सवेरे के समय सड़कों पर निकलेंगे, तो बहुत से पक्षी प्यास से मृत पड़े  मिलेंगे। संवेदनशील लोग अपनी छतों और घरों की मुंडेरों पर पक्षियों के लिए पानी भरा कटोरा रख रहे हैं।इससे शहरी क्षेत्र में पक्षियों की प्यास को थोड़ा बहुत राहत मिल रही है, मगर इस तरह के संवेदनशील  लोग बहुत ही कम है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कोई भी पक्षियों के लिए पानी नहीं रखता है। पक्षी ताल तलईयों और पोखरों में भरे पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं।
– वेदव्रत गुप्ता
     

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