मैनपुरी संसदीय सीट के त्रिकोणीय संघर्ष में “डिंपल यादव” की भारी लीड पर हर जगह चर्चाएं

      *कैबिनेट मंत्री जयवीर की प्रतिष्ठा दांव पर        *मैनपुरी सीट मुलायम की विरासत       *उपचुनाव में डिंपल का जीत का था नया रिकॉर्ड         *शिवप्रसाद हाथी पर सवार हो कर रहे यादवों में सेंधमारी में                जुटे

______________
 
जसवंतनगर (इटावा)। देश की वीवीआईपी संसदीय सीटों में  शुमार मैनपुरी  लोकसभा क्षेत्र के चुनाव के लिए मतदान दो दिन बाद 7  मई को होना है।
        यह सीट  स्वर्गीय नेता जी मुलायम सिंह के परिवार की परंपरागत सीट होने से इस सीट पर पूरे देश की निगाहें हैं। 
   सन 1996 से लेकर 2016 तक यह संसदीय सीट मुलायम सिंह यादव को अपना सांसद चुनती रही। मुलायम सिंह ने जब भी इस सीट से इस्तीफा दिया, तो उनके परिवार के ही भतीजे धर्मेंद्र यादव और  पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव इस संसदीय सीट से संसद सदस्य  चुने गए । 
     मैनपुरी। क्षेत्र में  एक नारा गूंजता रहा है_ ” जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है”…यह नारा मुलायम परिवार के प्रति मैनपुरी के  वोटर्स  का समर्पण दिखाती  रही है।
    मुलायम सिंह यादव की निधन के बाद इस लोक सभा सीट के लिए 2022 में जब उपचुनाव हुआ, तो मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिंपल यादव ने मैदान में उतरकर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को 2 लाख 88हजार  वोटो से करारी शिकस्त देते हुए जीत के मामले में एक नया रिकॉर्ड बनाया था। इतनी बड़ी जीत कभी मुलायम सिंह यादव को भी स्वयं कभी नहीं मिली थी। एक बार तो चुनाव में खुद मुलायम सिंह यादव मैनपुरी क्षेत्र से 1लाख से कम वोटो से ही जीत सके थे।
    अखिलेश यादव की धर्मपत्नी होने के बावजूद डिंपल यादव एक साधारण महिला के रूप में रहकर लोगों में अपने लिए जगह  बना बैठी है। उनके विरोधी भी डिंपल यादव के प्रति कोई उंगली नहीं उठा पाते हैं।  उपचुनाव में जीत के बाद लगभग 1 साल संसद सदस्य रही और उन्होंने मैनपुरी क्षेत्र में खुद भी जनता से सीधा जुड़ाव बनाया और अपने प्रतिनिधि के रूप में तेज प्रताप सिंह यादव को लगाए रखा, जो निरंतर मैनपुरी क्षेत्र के लोगों से न केवल संपर्क में रहे बल्कि उनकी सुख-दुख में  शामिल होते रहे।       डिंपल यादव भी अपने घर की चौखट  लांघकर निरंतर मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में भ्रमण करती रहीं। 
      इस लोकसभा चुनाव 2024 में मैनपुरी  सीट से डिंपल यादव एक बार फिर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी  के रूप में मैदान में हैं।
      भाजपा ने मुलायम परिवार की इस विरासत सीट पर डिंपल को घेरने के लिए उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने पुराने नेता और विधायक रहे शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतार कर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
     शिव प्रसाद यादव बसपा से नाराज हो गए थे और खुद अपनी एक राष्ट्रीय पार्टी 6,- 7 महीने बनाई थी, मगर टिकट के लालच में अपनी पार्टी को उन्होंने बलाए ताक रखते हुए बसपा के हाथी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरने का फैसला लिया। 
    मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में करीब साढे 18 लाख मतदाता है। इस इस सीट में पांच विधानसभाएं लगती हैं ,जिसमें जसवंत नगर और करहल सैफई से सटी हुई विधानसभाएं हैं। इन विधानसभाओं से सदैव मुलायम परिवार या उनके करीबी ही विजई होते रहे हैं ।जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से मुलायम परिवार के और सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं ।जसवंत नगर वैसे भी सपा का अटूट गढ़ रहा है । इस क्षेत्र में बिरला  ही सन 1986 से पूर्व कोई जीत पाया। खुद मुलायम सिंह सात बार इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे और शिवपाल सिंह यादव भी लगातार छह बार से विधायक हैं।
    जसवंत नगर ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां से  सदैव ही सपा का परचम लहराता है ।लोकसभा उपचुनाव में  भी डिंपल यादव को जो  कुल 2लाख 88 हजार वोट  की लीड मिली थी। उसमें अकेले जसवंत नगर का ही योगदान 1लाख 6 हजार वोटो का था। यही स्थिति करहल, किशनी विधानसभा क्षेत्र में  डिंपल की जीत में रही थी। 
   भारतीय जनता पार्टी ने ठाकुर जयवीर सिंह को मैनपुरी सीट के जातीय गणित के आधार पर इस बार  उतारा है।
      मैनपुरी संसदीय सीट में लगभग 5 लाख वोटर यादव जातीय हैं । करीब 3:30 लाख वोटर शाक्य वर्ग से हैं। इसके अलावा डेढ़ लाख वोटर दलित है और ब्राह्मण वोटर करीब 1 लाख 20 हजार हैं। कुल मिलाकर ठाकुर जाति मोर मतदाताओं की संख्या 50हजार भी नहीं है। भाजपा यादव वोटो में सेंध तो  एक दो प्रतिशत भले लगा ले  इसके अलावा उसे ठाकुर, ब्राह्मण , शाक्य  मतों के प्रति  आश है । जब उपचुनाव में रघुराज सिंह शाक्य को भाजपा ने मैदान में उतारा था तब भी यही गणित लगाया था
     बसपा के उम्मीदवार शिव प्रसाद यादव यादव वोटो में सेंध लगाने और दलितों, शाक्यों  में अपनी पैंठ बनाने के बल पर मैदान में उतरे हैं, मगर शिव प्रसाद जब विधानसभा का चुनाव एक बार इटावा की एक विधानसभा से लड़े थे तब तो उनको इस गणित में सफलता मिल गई थी मगर मैनपुरी क्षेत्र में उनकी कोई खास पहचान नहीं है, हाथी चिन्ह उन्हें संजीवनी दिए हैं। 
  अभी इन तीनों उम्मीदवारों में जो स्थिति है उसके अनुसार त्रिकोणी संघर्ष भले ही कागजों में  दिख रहा है, मगर यह त्रिकोणीय संघर्ष मतदान के दिन तक सीधे-सीधे  सपा और भाजपा 
 के उम्मीदवारों के बीच में सिमटने वाला है। भारतीय जनता पार्टी के अनेक मंत्री मैनपुरी में डेरा डाली है जबकि समाजवादी पार्टी के पास कार्यकर्ताओं और संगठन की मजबूत फौज है सबसे बड़ी बात तो यह है समाजवादी पार्टी का सीधा-सीधा जुड़ाव हर गांव में लोगों से है जबकि भाजपा को केवल मोदी और भाजपा की छाप के आधार पर वोटो की आस है यही स्थिति बसपा उम्मीदवार शिव प्रसाद यादव की है जो केवल मायावती के वोट बैंक के आधार पर चुनाव मैदान में है। 
        चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि मैनपुरी संसदीय सीट पर कोई भी संघर्ष हो ,मगर यह सीट एक बार फिर मुलायम परिवार की झोली में जाने वाली है, क्योंकि लोगों का अभी भी स्व मुलायम सिंह यादव के पार्टी आस्था और जुड़ाव है। वह उन्हें भूल नहीं पा रहे हैं। अब देखना है कि की उपचुनाव में जो डिंपल यादव की जीत हुई थी उस जीत का मार्जिन बढ़ता है या घटता?
:वेदव्रत गुप्ता
______

Related Articles

Back to top button